परीक्षा योद्धाओं की नई परिभाषा: परीक्षा के युद्धक्षेत्र से परे- केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली, 9 फरवरी – केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव को लेकर एक गहरी सोच प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र की विशिष्टता को पहचानना और उसे निखारना हमारी शिक्षा प्रणाली का मूल उद्देश्य होना चाहिए।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्धृत करते हुए कहा, “शिक्षा मनुष्य में पहले से मौजूद पूर्णता की अभिव्यक्ति है।” इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू किया गया है, जिससे हर छात्र की प्राकृतिक प्रतिभा को प्रोत्साहन मिल सके।

शिक्षा को आनंददायक और तनावमुक्त बनाने की दिशा में कदम
शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए जा रहे हैं ताकि छात्रों को परीक्षाओं के तनाव से मुक्त किया जा सके। बाल वाटिका और खिलौना-आधारित शिक्षा को अपनाकर प्रारंभिक शिक्षा को रोचक बनाया जा रहा है। इसके अलावा, क्रेडिट ट्रांसफर नीति के तहत अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत की गई है, जिससे छात्रों को अपनी रुचि और परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा जारी रखने में मदद मिलेगी।

परीक्षा पे चर्चा: प्रधानमंत्री का सकारात्मक पहल
प्रधानमंत्री “परीक्षा पे चर्चा” के माध्यम से छात्रों के साथ सीधा संवाद कर रहे हैं, जिससे परीक्षा का डर कम करने में मदद मिल रही है। उन्होंने छात्रों को तनाव मुक्त रहने और परीक्षा को एक उत्सव की तरह लेने के लिए प्रेरित किया है।

नई शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ता भारत
शिक्षा प्रणाली में बदलाव सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें शिक्षकों, अभिभावकों और समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री ने सभी से अपील की कि वे इस बदलाव में योगदान दें और एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करें जो हर छात्र की अनूठी प्रतिभा को पहचानकर उसे उत्कृष्टता की ओर ले जाए।

“हमारा भविष्य हमारे बच्चों की क्षमता में है। हमें उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर देना होगा।” – धर्मेंद्र प्रधान

 

 

 

 

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