सीआरडीएवी संस्थान में महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित, कानूनी साक्षरता पर सार प्रस्तुत

ऐलनाबाद, (एम पी भार्गव): शहर के डबवाली रोड स्थित सीआरडीएवी गर्ल्स कॉलेज और सीआरडीएवी गर्ल्स कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन में “महिला सशक्तिकरण का एक उपकरण: कानूनी साक्षरता” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ देवी सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

मुख्य अतिथि और संरक्षकों का मार्गदर्शन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री आशीष आर्या (उपमंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट, ऐलनाबाद) और प्रोफेसर अशोक मक्कड़ (डीन, विधि संकाय, सीडीएलयू सिरसा) थे। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक श्री ईश कुमार मेहता और श्री जगदीश चंद मेहता रहे। संगोष्ठी का मार्गदर्शन संरक्षक डॉ. भूषण मोंगा, डॉ. करुण मेहता और श्री कमल मेहता ने किया। संयोजक श्री अनंत कथूरिया और श्रीमती दीपशिखा थे, जबकि आयोजन सचिव श्रीमती शालू बाला और श्री अर्जुन सिंह ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महिला कानूनी अधिकारों पर जागरूकता और सशक्तिकरण
संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें न्याय मांगने के लिए सशक्त बनाना था। मुख्य अतिथि श्री आशीष आर्या ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों के महत्व पर प्रकाश डाला और उन्हें न्यायपालिका की भूमिका के बारे में बताया। प्रोफेसर अशोक मक्कड़ ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।

तकनीकी सत्र और पेपर प्रस्तुति
तकनीकी सत्र में सभी प्रतिभागियों को पेपर प्रस्तुति के लिए निष्पक्ष और समान अवसर प्रदान किया गया। इस संगोष्ठी में कॉलेज के स्टाफ सदस्यों और छात्राओं ने कानूनी साक्षरता से संबंधित सार प्रस्तुत किए। इन सारों में महिलाओं के कानूनी अधिकारों, घरेलू हिंसा, संपत्ति के अधिकार, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और अन्य संबंधित विषयों पर शोध और विचार शामिल थे। इस सत्र में निर्णायक मंडल की भूमिका श्रीमती सुहावी कक्कर द्वारा निभाई गई। परनीत द्वारा सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रदर्शित किया गया।

महाविद्यालय के प्राचार्य और संरक्षकों की टिप्पणियाँ
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भूषण मोंगा ने कहा, “महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि वे न्याय प्राप्त कर सकें और समाज में समान भागीदार बन सकें।” उन्होंने कॉलेज के स्टाफ और छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सारों की सराहना की और कहा कि यह कानूनी साक्षरता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है।
डॉ. करुण मेहता ने कहा, “यह संगोष्ठी महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों की सहभागिता
कार्यक्रम में न्यायाधीशों, वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों ने वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने महिलाओं के कानूनी अधिकारों, घरेलू हिंसा, संपत्ति के अधिकार, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और अन्य संबंधित विषयों पर अपने विचार साझा किए।

संगोष्ठी में भाग लेने वाली महिलाओं की प्रतिक्रिया
संगोष्ठी में भाग लेने वाली महिलाओं ने इसे एक बहुत ही जानकारीपूर्ण और उपयोगी कार्यक्रम बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने कानूनी अधिकारों के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला और वे भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं।

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