Narasimha Jayanti 2024: कल धूमधाम से मनाई जाएगी नरसिंह जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त और कथा

वैशाख माह की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है नरसिंह जयंती

नई दिल्ली। आज देश भर में नरसिंह जयंती मनाई जाएगी। पुराणों के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु आधे शेर और आधे मानव के रूप में अवतार लिया था।

नृसिंह अवतार की कथा
नृसिंह अवतार की कथा के अनुसार जब हिरण्याक्ष का वध हुआ तो उसका भाई हिरण्यकश्यप बहुत दुःखी हुआ। वह भगवान का घोर विरोधी बन गया। उसने अजेय बनने की भावना से कठोर तप किया। तप का फल उसे देवता, मनुष्य या पशु आदि से न मरने के वरदान के रूप में मिला। वरदान पाकर तो वह मानो अजेय हो गया।

हिरण्यकशिपु का शासन बहुत कठोर था। देव-दानव सभी उसके चरणों की वंदना में रत रहते थे। भगवान की पूजा करने वालों को वह कठोर दंड देता था और वह उन सभी से अपनी पूजा करवाता था। उसके शासन से सब लोक और लोकपाल घबरा गए। कहीं ओर कोई सहारा न पाकर वे भगवान की प्रार्थना करने लगे। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने हिरण्यकश्यप के वध का आश्वासन दिया।

उधर दैत्यराज का पुत्र प्रह्लाद बचपन से ही खेल-कूद छोड़कर भगवान के ध्यान में तन्मय हो जाया करता था। वह समय-समय पर असुर-बालकों को धर्म का उपदेश भी देता रहता था। असुर-बालकों को धर्म उपदेश की बात सुनकर हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ। उसने प्रहलाद को दरबार में बुलाया। प्रहलाद बड़ी नम्रता से दैत्यराज के सामने खड़ा हो गया। उसे देखकर दैत्यराज ने डांटते हुए कहा- ‘मूर्ख! तू बड़ा उद्दंड हो गया है। तूने किसके बल पर मेरी आज्ञा के विरुद्ध काम किया है?’

इस पर प्रह्लाद ने कहा- ‘पिताजी! ब्रह्मा से लेकर तिनके तक सब छोटे-बड़े, चर-अचर जीवों को भगवान ने ही अपने वश में कर रखा है। वह परमेश्वर ही अपनी शक्तियों द्वारा इस विश्व की रचना, रक्षा और संहार करते हैं। आप अपना यह भाव छोड़ अपने मनको सबके प्रति उदार बनाइए।’

प्रह्लाद की बात को सुनकर हिरण्यकश्यप को बहुत क्रोध आया और वह स्वयं तलवार लेकर सिंहासन से कूद पड़ा। उसने बड़े जोर से उस खंभे को एक घूंसा मारा। उसी समय उस खंभे के भीतर से नृसिंह भगवान प्रकट हुए। उनका आधा शरीर सिंह का और आधा मनुष्य के रूप में था। क्षणमात्र में ही नृसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप को अपने जांघों पर लेते हुए उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा की।

नरसिंह जयंती पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 22 मई 2024 को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगा। नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह की पूजा सायं काल में करने का विधान है। इस दिन आप पूजा शाम को 04 बजकर 24 मिनट से शाम 07 बजकर 09 मिनट तक के बीच में कर सकते हैं।

 

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