दिल्ली में मोदी की गारंटी और अमित शाह की रणनीति की विजय, केजरीवाल की हार से इंडिया गठबंधन पर प्रभाव
केजरीवाल की हार, कांग्रेस के लिए उपलब्धि, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की यह 100वीं हार
दिल्ली : 8 फरवरी को घोषित हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा को 70 में से 45 सीटों पर जीत मिल रही है, जबकि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी केवल 25 सीटों पर सिमट गई है। यह दिल्ली का तीसरा चुनाव है, जब कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली। इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली सीट से हार गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आम आदमी पार्टी का ‘ईमानदारी और सेवा’ का चेहरा अब टूट चुका है। भाजपा की रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ने सफलता प्राप्त की है।
भा.ज.पा की रणनीति: केजरीवाल को ‘बेईमान’ साबित करने में सफलता
भा.ज.पा ने अपनी रणनीति के तहत अरविंद केजरीवाल को ‘बेईमान’ राजनेता के रूप में पेश किया और यह साबित किया कि उनकी सरकार ने दिल्ली में वास्तविक विकास नहीं किया। भाजपा ने चुनावी वायदे में महिलाओं को 2500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया, जबकि केजरीवाल ने 2100 रुपये की घोषणा की थी। दिल्लीवासियों के बीच सरकार के बीच टकराव और विवादों से भी नाराजगी थी, जिसके कारण भाजपा को सत्ता प्राप्ति की उम्मीद है।
इंडिया गठबंधन पर केजरीवाल की हार का प्रभाव
केजरीवाल की हार अब इंडिया गठबंधन पर असर डाल सकती है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की कमी पर केजरीवाल ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए थे। टीएमसी, सपा और एनसीपी ने केजरीवाल का समर्थन किया था, जिसके बाद अब यह संभावना है कि केजरीवाल इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दें। इसके बावजूद भाजपा को 70 में से 13 सीटें मुस्लिम बहुल इलाकों से मिलना उसकी जीत का कारण बनी।
कांग्रेस की लगातार हार: राहुल गांधी के नेतृत्व में 100वीं हार
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है और दिल्ली की यह हार उनकी 100वीं हार मानी जा रही है। जबकि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की हार को अपनी उपलब्धि माना है, यह भी सच्चाई है कि पिछले तीन चुनावों में उसे एक भी सीट नहीं मिली है।
केजरीवाल के नेतृत्व पर उंगलियाँ उठना तय
दिल्ली की हार के बाद, आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व पर सवाल उठने की संभावना है। पंजाब में भी आप की सरकार है, लेकिन वहां के मुख्यमंत्री भगवंत मान केजरीवाल के निर्देशों को नहीं मान रहे थे। अब दिल्ली में हार के बाद, आप की स्थिति और कमजोर हो सकती है और केजरीवाल का प्रभाव पार्टी पर कम हो सकता है।