“मृगतृष्णा” नाटक: रूढ़िवादी विचारों पर मंथन का माध्यम – राजेश राजा

पटना में 'मृगतृष्णा' का मंचन, दर्शकों ने किया स्वागत

पटना, 29 दिसंबर: पिछले 12 वर्षों से रंगकर्म के क्षेत्र में सक्रिय पटना की नाट्य संस्था ‘विश्वा, पटना’ द्वारा ‘संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार’ के सौजन्य से नाटक “मृगतृष्णा” का मंचन रंग मार्च स्टूडियो, एस. पी. वर्मा रोड, पटना में किया गया। नाटक का लेखन आरोती भट्टाचार्य सिंह ने किया है, जबकि निर्देशन राजेश नाथ राम द्वारा किया गया। यह नाटक समकालीन परिस्थितियों पर आधारित है, और दर्शकों ने इसका गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रेक्षागृह में भरे हुए भाव विभोर दर्शकों और उनकी तालियों ने कलाकारों का उत्साह और बढ़ाया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री बरुण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, बिहार भाजपा और श्री प्रेम कुमार, सब एडिटर, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया उपस्थित रहे।

नाटक का विषय और केंद्रीय कहानी

“मृगतृष्णा” नाटक में रमा नामक पात्र की कहानी प्रस्तुत की गई है, जो जीवन में बेरंग होकर भी संतुष्ट रहती है। अचानक, उसके जीवन में अविनाश नामक पात्र आता है, जो उसका बचपन का मित्र है। अविनाश रमा के जीवन में मृगतृष्णा की तरह आता है, जिससे रमा को फिर से जीने का नया अर्थ मिलता है। लेकिन वक्त की एक ऐसी बारिश होती है, जो रमा और अविनाश दोनों के जीवन के रंग को धो डालती है और छोड़ जाती है एक गहरी दुविधा। यह नाटक दर्शकों को नैतिकता और रूढ़िवादी विचारों पर पुनः मंथन करने के लिए प्रेरित करता है।

कलाकारों और तकनीकी टीम की भूमिका

इस नाटक में मुख्य भूमिका निभाने वाले कलाकारों में रमा के रूप में सुश्री बिस्वास, अविनाश के रूप में रजनीश कुमार, तुषार के रूप में ऋषि गौतम, भाभी के रूप में अंजना पाण्डेय, वंदना के रूप में सरिता पाल, और मिसेज सिन्हा के रूप में सीमा शामिल हैं।

नाटक की तकनीकी टीम में प्रकाश परिकल्पना का कार्य राजीव रॉय ने किया, पार्श्व ध्वनि राहुल आर्यन द्वारा दी गई, और रूप सज्जा का जिम्मा तन्नु आश्मी ने संभाला। वस्त्र विन्यास के लिए पंकज कुमार तिवारी और संजीव कुमार की अहम भूमिका रही। मंच निर्माण का कार्य सुनील जी ने किया, जबकि दीपक कुमार का सहयोग मंच व्यवस्था में महत्वपूर्ण रहा।

निर्देशक राजेश राजा का योगदान

नाटक का निर्देशन किया है राजेश राजा ने, जिनका कहना है कि यह नाटक रूढ़िवादी विचारों और नैतिकता पर पुनः सोचने के लिए दर्शकों को प्रेरित करता है। उनका मानना है कि इस तरह के मंचन समाज में गहरे प्रश्नों को उठाने का कार्य करते हैं और लोगों को आत्ममंथन के लिए मजबूर करते हैं।

विश्वा पटना का योगदान और भविष्य की योजनाएं

विश्वा, पटना के इस नाट्य मंचन ने यह साबित किया कि रंगकर्म सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहरे विचार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संस्था का यह प्रयास रंगकर्म के माध्यम से सामाजिक और मानसिक बदलाव की दिशा में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

नाटक का उद्देश्य और दर्शकों की प्रतिक्रिया

नाटक “मृगतृष्णा” ने दर्शकों को सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन के जटिलताओं पर सोचने के लिए मजबूर किया और साथ ही यह भी दिखाया कि जीवन की वास्तविकता और हमारी अपनी समझ के बीच कितनी गहरी दूरी हो सकती है।

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