मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा, “मणिपुर के लोगों की सेवा करना अब तक सम्मान की बात रही है।” मुख्यमंत्री ने अपना त्यागपत्र राजभवन में राज्य के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सौंपा। इस दौरान उनके साथ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ए. शारदा, पूर्वोत्तर मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा और कम से कम 19 विधायक भी मौजूद थे।
‘शांति बहाल करने के लिए हर संभव कोशिश जारी’
सिंह ने अपने इस्तीफे में केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने मणिपुर के हितों की रक्षा के लिए समय पर कार्रवाई और विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग दिया।
इस इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस ने इसे ‘देर से लिया गया फैसला’ करार दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि ‘उन्हें मणिपुर का दौरा करना चाहिए।’
कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिंह के इस्तीफे की तुलना “घोड़े के कूदने के बाद अस्तबल का दरवाजा बंद करने” से की। उन्होंने कहा कि “21 महीनों तक भाजपा ने मणिपुर में आग जलाए रखी और लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया।”
खड़गे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि इस हिंसा में 258 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, और हजारों लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं।
‘मोदी जी को भारत के मानचित्र पर मणिपुर खोजना चाहिए’
खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी भूल गए हैं कि मणिपुर भारत का ही हिस्सा है। अब समय आ गया है कि वे अपनी याददाश्त को दुरुस्त करें और मणिपुर का दौरा करें।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “मोदी जी ने जनवरी 2022 के चुनाव प्रचार के बाद से मणिपुर की धरती पर कदम तक नहीं रखा, जबकि उन्होंने कई विदेशी यात्राएं की हैं।”
मणिपुर में 2023 से भड़की हिंसा
मई 2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों बेघर हो गए हैं।
बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने से एक दिन पहले कहा था कि उनकी सरकार “संघर्षग्रस्त उत्तर-पूर्वी राज्य में शांति बहाल करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है कि लोग पहले की तरह एक साथ रहें।”
अब देखना होगा कि बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं और केंद्र सरकार इस हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।