मामले में न्यायिक प्रक्रिया में देरी
पुरानी कहावत है कि “न्याय में देरी, न्याय से इन्कार है”, जो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके चहेते आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों से जुड़े मानेसर भूमि घोटाले के पीड़ित किसानों के मामले में सटीक बैठती है। लगभग चार साल से इस मामले की सुनवाई किसी न किसी कारण से रुकी हुई थी। अब पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि यह सुनवाई जारी रहेगी।
सीबीआई कोर्ट का क्षेत्राधिकार विवाद
इस बीच, प्रभावित किसानों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट दायर की है, जिसमें सीबीआई कोर्ट पंचकूला के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाया गया है। उनका कहना है कि चूंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायक हैं, इसलिए इस मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा जाना चाहिए। इस मामले को अब क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर निर्णय के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया है, जिससे मामले में और देरी होने की संभावना है।
मानेसर भूमि अधिग्रहण और घोटाला
मानेसर और आसपास के गांवों के किसानों की भूमि को हरियाणा सरकार ने औद्योगिक मॉडल टाउन मानेसर के विकास के लिए अधिग्रहित किया था। लेकिन जब किसानों ने यह महसूस किया कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है, तो उन्होंने अपनी जमीन बिल्डरों को बेच दी, जिसके बाद उसे मुक्त कर दिया गया और बिल्डरों को आवासीय कॉलोनियों के विकास के लिए लाइसेंस मिल गए।