बैकफुट ममता सरकार, राज्यपाल ने फांसी की सजा वाले बिल पर लगाई रोक

कोलकाता: आरजी कर मेडिकल अस्पताल में लेडी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले ने पश्चिम बंगाल को हिला कर रख दिया है। इस घटना के बाद पूरे राज्य में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं। डॉक्टरों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतरकर विरोध जताया है, जिससे ममता बनर्जी की सरकार दबाव में आ गई है।

इस बीच, ममता बनर्जी की सरकार ने 3 सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक विधेयक पारित किया, जिसमें रेप और हत्या के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। इस बिल को राज्यपाल आनंद बोस के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन उन्होंने इस पर रोक लगा दी। राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने बिल के साथ आवश्यक तकनीकी रिपोर्ट नहीं भेजी, जिसके बिना इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती।

राज्यपाल आनंद बोस ने बिल पर रोक लगाते हुए ममता सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए और कहा कि पहले भी कई विधेयक तकनीकी कमियों के कारण पेंडिंग रह गए थे। ममता सरकार ने राज्यपाल के इस कदम की आलोचना की है और उन पर निशाना साधा है।

ममता बनर्जी ने विधानसभा में इस बिल को “ऐतिहासिक” करार दिया था और कहा था कि यह देश के अन्य राज्यों के लिए आदर्श बनेगा। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक रेप पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों को जल्द न्याय दिलाने में मदद करेगा।

हालांकि, बीजेपी के विधायकों ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगते हुए विधानसभा में हंगामा किया। ममता बनर्जी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर पश्चिम बंगाल से अधिक है और यहां महिलाओं को न्याय मिल रहा है।

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