ग़ुस्ताखी माफ़ हरियाणा: पवन कुमार बंसल 

महाकुंभ हादसा: धार्मिक आयोजन को राजनीतिक लाभ में बदलने का आरोप

ग़ुस्ताखी माफ़ हरियाणा: पवन कुमार बंसल 

महाकुंभ हादसा: धार्मिक आयोजन को राजनीतिक लाभ में बदलने का आरोप

कुंभ मेले में शाही स्नान और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और जनसत्ता में मेरे सहयोगी प्रदीप श्रीवास्तव के सौजन्य से, मैं 1989 और उसके बाद के महाकुंभ में शामिल हो चुका हूं। मेरे उपन्यास 1989 में तो पूरा एक अध्याय महाकुंभ पर आधारित है। 1989 में मैंने दो शाही स्नान देखे थे, और तब रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक सभी घाट स्नान के लिए बंद रहते थे। इस बार, आधी रात को अचानक लोगों को नहाने के लिए डंडों से जगाया गया, जो एक बेहद चौंकाने वाली घटना थी।

महाकुंभ का धार्मिक महत्व और प्रशासनिक व्यवस्थाएं

धार्मिक आयोजनों को इवेंट के रूप में बदलने की कोशिश कर रहे प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठते हैं, क्योंकि अब प्रयागराज से लाखों लोग भगाए जा रहे हैं। यह घटना उन व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है, जो पहले महाकुंभ के दौरान नहीं थीं। 70-75 साल पहले महाकुंभ में भगदड़ मची थी, लेकिन तब ऐसी आधुनिक संचार व्यवस्था नहीं थी, जो आज है। उस घटना के बाद कई सुधारात्मक कदम उठाए गए थे, लेकिन अब सब कुछ नाटक और मजाक बनकर रह गया है।

राजनीतिक लाभ का आरोप

कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी, और आप दोनों ने साल भर देशभर में अपनी तस्वीरें छपवाकर महाकुंभ का श्रेय लेने की कोशिश की और राजनीतिक लाभ लिया। अब इस हादसे की जिम्मेदारी क्यों नहीं ले रहे? क्या आप दोनों फिर से कैबिनेट की बैठक बुलाईंगे?

 

 

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