मध्य प्रदेश: मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी, नियंत्रण और बचाव के निर्देश

भोपाल: मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मंगलवार को एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में मंकी पॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

सभी जिला कलेक्टरों, चिकित्सा महाविद्यालयों के अधिष्ठाताओं, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सिविल सर्जनों को इस बीमारी से निपटने और बचाव के उपायों के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंकी पॉक्स से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि मंकी पॉक्स से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित किया जाए और सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएं।

दिशा निर्देश जारी किए गए –
स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग की गाइडलाइन के अनुसार, सभी संदिग्ध मामलों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक के आइसोलेशन समाप्त करने के निर्देश देने पर ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे।

संभावित संक्रमण की स्थिति में, मंकी पॉक्स वायरस टेस्ट के लिए प्रयोगशाला का सैंपल एनआईवी पुणे भेजा जाएगा। इसके साथ ही, मंकी पॉक्स के पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटैक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान की जाएगी।

मनुष्य से मनुष्य में फैलने की संभावना:
मंकी पॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्यों और मनुष्यों से मनुष्यों में भी फैल सकता है। यह वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ और घाव से सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है।

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, मंकी पॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है। इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता। संक्रमित व्यक्ति के चकत्ते दिखने से एक से दो दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए, रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है।

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