नोएडा। गणेश जी महाराज जिनको किसी भी देवी देवता से पहले पूजा जाता है जिनको सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट. विघ्नद-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन आदि नामों से जाना जाता है, सभी देवताओ से पहले पूजे जाने वाले गणेश जी महाराज की कहानियाँ है जिनमें बताया गया है कि गणेश जी को इतना महत्व क्यो दिया जाता है..
गणेश जी के मंत्र:
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
जिसका अर्थ है : हे घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। हे प्रभु! हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करने की कृपा करें।
दरअसल गणेश बुद्धि के देवता हैं। वहीं बात करे अपने किसी नये कार्य को शुरू करने की तो प्रत्येक मनुष्य को हर काम के शुभारंभ से पहले बेहतर योजना, दूरदर्शी फैसले और कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है। अगर गणेश जी के पहले पूजन करने को सांकेतिक भी माना जाए तो यह गलत नहीं है। हर काम की शुरुआत के पहले बुद्धि का उपयोग आवश्यक है। और, बुद्धि के देवता गणेश जी महाराज को ही माना जाता हैं। वहीं ग्रंथों की बात करे तो सभी में अलग-अलग कारण बताए गए है…
गणेश जी विघ्न नाश करते हैं इसलिए सबसे पहले होती है पूजा
लिंग पुराण के अनुसार देवताओं ने भगवान शिव से राक्षसों के दुष्टकर्म में विघ्न पैदा करने के लिये वर मांगा था, जिसके बाद शिवजी ने वर देकर देवताओं को संतुष्ट किया था। आपको बता दे कि समय आने पर देवताओं ने गणेश जी की पूजा की थी। तब भगवान शिव ने गणेश जी को दैत्यों के कामों में विघ्न पैदा करने का आदेश दिया था। इसलिए हर मांगलिक काम और पूजा-पाठ में नकारात्मक शक्तियों की रुकावटों से बचने के लिए विघ्नेश्वर गणेश जी की पूजा की जाती है।
महर्षि पाणिनि: सभी गणों के स्वामी इसलिए प्रथम पूज्य
महर्षि पाणिनि के अनुसार दिशाओं के स्वामी यानी अष्टवसुओं के समूह को गण कहा जाता है। इनके स्वामी गणेश हैं। इसलिए इन्हें गणपति कहा गया है। गणेश जी की पूजा के बिना मांगलिक कामों में किसी भी दिशा से किसी भी देवी-देवता का आगमन नहीं होता। इसलिए हर मांगलिक काम और पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
शिव महापुराण: भगवान शिव ने दिया प्रथम पूजा का वरदान
शिव महापुराण की कथा के अनुसार जब भगवान शिव और गणेशजी के बीच युद्ध हुआ और गणेशजी का सिर कट गया तो देवी पार्वती के कहने पर शिवजी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर जोड़ दिया। जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि इस रूप में मेरे पुत्र की पूजा कौन करेगा। तब शिवजी ने वरदान दिया कि सभी देवी-देवताओं की पूजा और हर मांगलिक काम से पहले गणेश की पूजा की जाएगी। इनके बिना हर पूजा और काम अधूरा माना जाएगा।