प्रयागराज: कभी बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस रहीं ममता कुलकर्णी अब आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा बन गई हैं। शुक्रवार, 24 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान ममता ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास की दीक्षा ली। इसके साथ ही उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई। संन्यास ग्रहण करने के बाद ममता का नया नाम श्री यमाई ममता नंद गिरि रखा गया है।
संगम तट पर संन्यास की दीक्षा
ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज के संगम तट पर अपने हाथों से पिंडदान किया और भगवा वस्त्र धारण कर आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें दीक्षा प्रदान की। ममता ने बताया कि यह उनके गुरु और भगवान महादेव का आदेश था।
किन्नर अखाड़ा और ममता का जुड़ाव
2015 में स्थापित किन्नर अखाड़ा ट्रांसजेंडर समुदाय को आध्यात्मिक और सामाजिक समानता दिलाने के लिए काम करता है। ममता पिछले दो सालों से किन्नर अखाड़े और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में थीं। दीक्षा के दौरान उन्होंने कहा, “यह मेरी 23 साल की तपस्या का परिणाम है। मुझे नहीं पता था कि पिछले तीन दिनों से मेरी परीक्षा ली जा रही थी।”
महामंडलेश्वर बनने की यात्रा
ममता ने खुलासा किया कि उन्हें जूना अखाड़ा के चैतन्य गगन गिरि महाराज से 23 साल पहले दीक्षा मिली थी। इसके बाद किन्नर अखाड़े के माध्यम से उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। ममता ने कहा, “स्वामी महेंद्रानंद गिरि और इंद्र भारती महाराज ने मेरी तपस्या को परखा और मुझे इस उपाधि के लिए योग्य पाया।”
सनातन धर्म का प्रचार करेंगी ममता
महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता ने कहा, “मैंने 23 साल पहले बॉलीवुड छोड़ दिया था। अब मेरा उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। मैंने मध्य मार्ग अपनाने का फैसला किया है।” ममता ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें अध्यात्म की राह पर चलते हुए कई चमत्कारी घटनाओं का सामना करना पड़ा।
जीवन का नया अध्याय
एक जमाने में शाहरुख खान और सलमान खान जैसे स्टार्स के साथ काम कर चुकी ममता कुलकर्णी ने अब बॉलीवुड से पूरी तरह दूरी बना ली है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करना उनके लिए एक नया और अद्भुत अनुभव है।
ममता कुलकर्णी का यह कदम अध्यात्म और सनातन धर्म की दिशा में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।