नींद की कमी हो सकती है जानलेवा .. जानें इसे कैसे ठीक करें
असामान्य नींद और दिल की बीमारियों से जुड़े खतरों के बारे में शोध
आपकी मां ने जब आपको सोने का समय याद दिलाया था, तो वह सही थीं। हाल के एक व्यापक शोध में यह साबित हुआ है कि अगर आप नियमित रूप से सोने और जागने का समय नहीं बनाए रखते, तो दिल के दौरे, स्ट्रोक और हृदय विफलता का खतरा 26 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इस शोध के नतीजे भयभीत करने वाले हैं।
शोध की मुख्य बातें:
- यह शोध 72,269 लोगों पर किया गया था और इसके परिणाम बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति रोज़ अलग-अलग समय पर सोने और जागने जाता है, तो उसकी हृदय संबंधित गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, भले ही वह आठ घंटे की पूरी नींद लेता हो।
- डॉ. कैट लेडरले, जो नींद विशेषज्ञ हैं, बताती हैं कि शरीर की आंतरिक घड़ी (सर्केडियन रिदम) के अनुसार नींद के दौरान कई प्रक्रियाएं होती हैं। यदि इनमें से कोई प्रक्रिया बदलती है तो दूसरी प्रक्रियाओं पर भी असर पड़ता है, जिसे ‘आंतरिक असंतुलन’ कहा जाता है।
- प्रोफेसर गाई लेशजिनर के अनुसार, नींद का सही समय शरीर की महत्वपूर्ण कार्यप्रणालियों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
खराब नींद के परिणाम
1. उच्च रक्तचाप (Blood Pressure)
नींद के दौरान शरीर का स्वायत्त तंत्रिका तंत्र दो हिस्सों में विभाजित होता है: सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक। यदि नींद में खलल डालती है, तो इन दोनों तंत्रों का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप हो सकता है।
2. मोटापा और वजन बढ़ना (Weight Gain/Obesity)
नींद के दौरान शरीर में लेप्टिन और घ्रेलिन हार्मोन का संतुलन बनता है, जो भूख पर असर डालते हैं। नींद की कमी के कारण घ्रेलिन का स्तर बढ़ जाता है और लेप्टिन का स्तर घटता है, जिससे अत्यधिक खाने की इच्छा होती है, जो समय के साथ वजन बढ़ने का कारण बन सकता है।
3. मधुमेह (Diabetes)
नींद की कमी से शरीर के ग्लूकोज़ प्रोसेसिंग सिस्टम में गड़बड़ी हो सकती है, जो इंसुलिन प्रतिरोध और ग्लूकोज़ टॉलरेंस को प्रभावित करता है। इससे मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।
4. अवसाद (Depression)
नींद की कमी के कारण मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और एमिग्डाला के बीच नियंत्रण कम हो जाता है, जिससे भावनात्मक नियंत्रण में परेशानी हो सकती है और चिंता तथा अवसाद की संभावना बढ़ सकती है।
5. डिमेंशिया का जोखिम (Dementia Risk)
नींद में कमी से मस्तिष्क की स्वच्छता प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, जिससे मस्तिष्क में मलबे, जैसे कि बीटा एमीलॉयड प्रोटीन का निर्माण हो सकता है, जो डिमेंशिया से जुड़ा होता है।
6. हृदय रोग (Heart Disease)
नींद का संबंध रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य से है। नींद के दौरान शरीर की प्रक्रियाएं, जैसे ग्लूकोज़ मेटाबोलिज़म और सूजन, हृदय रोगों के जोखिम को प्रभावित कर सकती हैं।
7. स्ट्रोक (Stroke)
नींद की समस्याएं, विशेष रूप से स्लीप एपनिया, स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। यह नींद में खलल, उच्च रक्तचाप, सूजन और रक्त प्रवाह में कमी जैसी स्थितियों के कारण हो सकता है।
8. कैंसर (Cancer)
कैंसर और नींद के बीच एक संभावित संबंध है, विशेष रूप से रात की शिफ्ट काम करने वाली महिलाओं में। शोध ने यह संकेत दिया है कि असामान्य सर्केडियन रिदम से शरीर में कैंसर पैदा करने वाली प्रक्रियाओं में गड़बड़ी हो सकती है।
समाधान – अच्छी नींद पाने के तरीके:
- नियमित नींद का समय बनाएं: हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
- नींद का माहौल सुधारें: कमरे में अंधेरा रखें, शोर से बचें और तापमान को आरामदायक बनाएं।
- सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल कम करें: मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर का इस्तेमाल सोने से कम से कम 30-60 मिनट पहले करें।
- व्यायाम करें: नियमित व्यायाम से नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है, लेकिन सोने के समय से ठीक पहले व्यायाम से बचें।
निष्कर्ष
नींद केवल आराम नहीं, बल्कि हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए आवश्यक है। नियमित और अच्छी नींद न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि इससे जीवन के खतरे भी कम हो सकते हैं।