निर्वाण फाउंडेशन के संस्थापक ईश्वर चंद्र ने आज देशभर में बढ़ती मजदूरों की आत्महत्याओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि आज के दौर में मजदूरों को महंगी शिक्षा, इलाज, कपड़े, किराया और रोज़मर्रा के खर्चों का बोझ उठाते हुए आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। महंगाई और निजीकरण के कारण घर-परिवार का खर्च बढ़ गया है, और कम कमाई के बावजूद कर्ज़ का बोझ मजदूरों पर लगातार बढ़ रहा है। इस समस्या को असहनीय मानते हुए, निर्वाण फाउंडेशन ने एक राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया।
ईश्वर चंद्र ने इस बैठक में कहा कि मजदूरों के साथ बढ़ते अत्याचार और शोषण के कारण वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समय है जब मजदूरों को न्याय मिले, और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। इस बैठक में मुख्यत: निम्नलिखित मुद्दों पर विचार किया गया:
ठेकेदारी प्रणाली तत्काल बंद की जाए।
सभी मजदूरों को महंगाई भत्ता दिया जाए।
योग्यता अनुसार मजदूरों को पदों पर नियुक्त किया जाए।
मजदूरों को स्थाई (परमानेंट) नियुक्त किया जाए।
मजदूरों पर हो रहे शोषण को रोका जाए।
मजदूरों की 8 घंटे ड्यूटी निर्धारित की जाए, ताकि वे अपने परिवार और समाज में योगदान दे सकें।
सरकारी श्रमिक विभागों में पंजीकृत मजदूरों को न्यूनतम मानदेय दिया जाए।
बैठक में उपस्थित राष्ट्रीय पदाधिकारियों और सदस्यों ने इन मांगों पर सहमति व्यक्त की। ईश्वर चंद्र ने यह भी बताया कि निर्वाण फाउंडेशन का विस्तार करना बेहद जरूरी हो चुका है। अब पूरे देश में सभी राज्यों और जिलों के अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे, और सदस्यता अभियान चलाकर फाउंडेशन को मजबूत किया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि फाउंडेशन जल्द ही मजदूरों की बढ़ती समस्याओं और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करेगा, ताकि मजदूरों को न्याय मिल सके। इस बैठक में महासचिव जय सिंह, सचिव विजय लक्ष्मी, कोषाध्यक्ष ओमकार सिंह कसनवाल, कानूनी सलाहकार एडवोकेट राखी त्यागी, और अन्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने “हक और अधिकार मिले, सबको अपना अपना” का नारा लगाकर बैठक का समापन किया।