कुंभकरण, मेघनाद और अहिरावण का हुआ वध

कोसी मार्ग पर रामलीला का हुआ मंचन, गूंजे प्रभु राम के जयकारे

रामपुर। कोसी मार्ग पर मेघनाद- लक्ष्मण युद्ध, सिविल लाइंस में संजीवनी बूटी लाने का मंचन हुआ। दर्शक आधी रात तक श्रीरामलीला मंचन का आनंद लेते रहे।
शुक्रवार को कोसी मार्ग स्थित रामलीला मैदान पर मंचन का शुभारंभ अतिथियों दिलीप सक्सेना, केएम टंडन, तीरथ सिंह, अमृत कपूर ने किया। कमेटी की ओर से अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। रामलीला मंडल मथुरा के कलाकारों ने कुंभकरण, मेघनाद और अहिरावण वध का मंचन किया। राम और रावण के बीच युद्ध में लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया। लक्ष्मण ने अपने बाण से मेघनाद का सिर धड़ से अलग कर दिया था। मेघनाथ द्वारा रामदल से भीषण युद्ध का मंचन किया गया। इसके बाद वह लक्ष्मण के हाथों मारा गया। मेघनाथ की पत्नी सुलोचना रामजी के शिविर में मेघनाथ कटा हुआ शीश लेने पहुंचीं। अंत में मेघनाथ की चिता के साथ वह भी सती हो गईं।इसके बाद हनुमान जी पंचमुखी अवतार लेकर श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराया। श्रीराम को रोकने के लिए रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण मां भवानी का भक्त था। उसने अपनी साधना का उपयोग करते हुए श्रीराम और लक्ष्मण सहित पूरी वानर सेना को एक साथ बेहोश कर दिया था। इसके बाद वह श्रीराम और लक्ष्मण को लेकर अपने साथ पाताल लोक ले गया। कुछ समय बाद जब अहिरावण की शक्ति का असर खत्म हुआ तो विभीषण समझ गए कि ये काम अहिरावण ने किया है। तब विभीषण ने हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण की मदद के लिए पाताल लोक जाने के लिए कहा। विभीषण ने हनुमान जी को बताया था कि अहिरावण ने मां भवानी को प्रसन्न करने के लिए पांच दिशाओं में दीपक जला रखे हैं। जब तक ये पांचों दीपक जलते रहेंगे, तब तक अहिरावण को पराजित करना संभव नहीं है। ये पांचों दीपक एक साथ बुझाने पर ही अहिरावण की शक्तियां खत्म हो सकती हैं। विभीषण के कहने पर हनुमान जी पालाल लोक पहुंच गए। वहां उन्होंने देखा कि अहिरावण ने एक जगह पांच दीपक जला रखे हैं। हनुमान जी ने पांचों दीपक एक साथ बुझाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपक एक साथ बुझा दिए। इसके बाद अहिरावण की मायावी शक्तियां खत्म हो गई थीं। हनुमान जी और अहिरावण का युद्ध हुआ, जिसमें हनुमान जी ने उसका वध कर दिया। अहिरावण का करने के बाद हनुमान जी ने श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और उन्हें लेकर लंका के युद्ध मैदान में फिर से पहुंच गए।इस दौरान इस दौरान इस दौरान कमेटी अध्यक्ष विष्णु शरण अग्रवाल, महामंत्री वीरेंद्र गर्ग, सुनील कुमार गोयल सोनी ताऊ, सुभाष चन्द्र अग्रवाल ठेकेदार, गौरव जैन, वेद प्रकाश वर्मा, निर्भय कुमार गर्ग, कमलेश कुमार अग्रवाल , विनीत कुमार अग्रवाल, हरिओम गुप्ता, हरीश चन्द्र अग्रवाल ठेकेदार, ईश्वर सरन अग्रवाल, अरविन्द कुमार अग्रवाल,डा.अजय कुमार अग्रवाल, शांति शरण राठौड़, मनोज कुमार अग्रवाल, संजय अग्रवाल, पंकज गर्ग, सुदर्शन लाल गुप्ता, विनोद कु‌मार गुप्ता ठेकेदार, मनोज कुमार अग्रवाल, अरूण कुमार अग्रवाल, राजीव सरन गर्ग, नितिन कुमार सर्राफ, श्रीराम अग्रवाल, डॉ. सुमित कुमार गोयल आदि मौजूद रहे।

 

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