कोटा की छात्रा कृति ने सुसाइड नोट में लिखा: “कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दें”
आत्महत्या के पीछे कोचिंग संस्थानों का दबाव
कोटा : कोटा में आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने अपने सुसाइड नोट में भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से आग्रह किया कि वे कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दें। कृति ने लिखा कि इन संस्थानों में छात्रों पर इतना दबाव होता है कि वे मानसिक रूप से थक जाते हैं और कई बार आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कृति ने कहा कि यह कोचिंग छात्रों को खोखला कर देती हैं और पढ़ाई का इतना दबाव होता है कि छात्र इसके बोझ तले दब जाते हैं।
कृति का दर्द और आत्मघाती कदम:
कृति ने सुसाइड नोट में बताया कि वह कोटा में कई छात्रों को डिप्रेशन और तनाव से बाहर निकालने में सफल रही थी, लेकिन खुद को नहीं बचा सकी। उसने लिखा कि बहुत से लोग विश्वास नहीं करेंगे कि जो लड़की 90% से ज्यादा अंक लेकर भी आत्महत्या कर सकती है, उसके मन और दिल में कितनी नफरत और दर्द था।
माँ के लिए लिखी चेतावनी:
कृति ने अपनी मां से भी अपनी बात साझा की थी। उसने लिखा कि उसकी मां ने बचपन में उसे अपनी इच्छाओं के मुताबिक विज्ञान पढ़ने के लिए मजबूर किया और उसे खुश रखने के लिए अपनी पसंद को अनदेखा किया। कृति ने यह भी बताया कि उसने विज्ञान में रुचि ली, जबकि उसे इंग्लिश साहित्य और इतिहास में ज्यादा रुचि थी, जो उसे अंधकार से बाहर निकालने का काम करते थे। कृति ने अपनी मां को चेतावनी दी कि अपनी छोटी बहन को भी ऐसे ही दबाव में न डालें, बल्कि उसे वही करने दें जो वह चाहती है।
बच्चों के सपनों का हनन:
यह खबर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने बच्चों के सपनों को उनकी इच्छाओं के विपरीत क्यों बदलते जा रहे हैं। अब हम केवल एक प्रतिस्पर्धा के तौर पर देखते हैं कि फलां का बच्चा डॉक्टर बना तो हमारा भी बच्चा वही बने, भले ही उसके सपने कुछ और हों।
सिस्टम की नाकामी:
आज के स्कूल और कोचिंग संस्थान बच्चों को परिवारिक रिश्तों का महत्व और असफलताओं से जूझने की ताकत नहीं सिखा पा रहे हैं। बच्चों के दिमाग में प्रतिस्पर्धा का जहर घोलने के बजाय, उन्हें जीवन के उतार-चढ़ाव से लड़ने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। इस दबाव के कारण जो छात्र कमजोर होते हैं, वे आत्महत्या कर रहे हैं, जबकि जो थोड़े मजबूत होते हैं, वे नशे की ओर बढ़ रहे हैं।
आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं:
जब बच्चे असफल होते हैं, तो उनके पास यह समझ नहीं होती कि इस स्थिति से कैसे निपटा जाए। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उनकी कोमल संवेदनाओं को यह नाकामी तोड़ देती है, और यही कारण है कि आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।