नई दिल्ली। केरल का नया नाम ‘केरलम’ हो सकता है। दरअसल, राज्य विधानसभा ने इसके लिए सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया और केंद्र से केरल का नाम आधिकारिक तौर पर बदलने का अनुरोध किया। नाम बदलने के लिए विधानसभा में दूसरी बार इस तरह का प्रस्ताव पारित किया गया। इससे पहले भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित किया गया था लेकिन गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव की समीक्षा करते हुए इसमें कुछ तकनीकी बदलाव करने का सुझाव दिया था।
प्रस्ताव पेश करने वाले मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने केंद्र से देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में दक्षिणी राज्य का नाम केरल से ‘केरलम’ करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मलयालम में केरल को केरलम कहा जाता है। मलयालम भाषी समुदायों के लिए केरलम बनाने की मांग स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही जोर पकड़ गई थी। लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल है।
मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह विधानसभा केंद्र से आग्रह करती है कि संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत इसका नाम बदलकर केरलम किया जाए। यह विधानसभा संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं में इसका नाम बदलकर केरलम करने का अनुरोध करती है।
यह दूसरी बार था जब राज्य विधानसभा ने राज्य के नाम में बदलाव की मांग कते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, सदन ने पिछले साल अगस्त में भी सर्वसम्मति से ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया था और इसे केंद्र को सौंपा था। लेकिन केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इसमें कुछ तकनीकी बदलावों का सुझाव दिया था।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पहले के प्रस्ताव में कुछ बदलावों की जरूरत है। प्रस्ताव को सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ दोनों के सदस्यों ने स्वीकार किया। यूडीएफ विधायक एन शम्सद्दीन ने प्रस्ताव में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया, जिन्हें सरकार ने खारिज किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ए.एन शमसीर ने इसे सर्वसम्मति से पारित घोषित किया।