Kamada Ekadashi 2025: 8 अप्रैल को होगा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से व्रत और पूजन के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रत रखने वाले जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस साल कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल 2025 को रखा जाएगा।

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन विशेष शुभ योग बन रहे हैं। यदि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन श्रद्धाभाव से किया जाए, तो उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ने से हर मनोकामना पूरी होती है।

कामदा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त:

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 अप्रैल को रात 8 बजे शुरू होगी और इसका समापन 8 अप्रैल को रात 10 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन विशेष रूप से रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, जो सुबह 6:03 से लेकर 7:55 बजे तक रहेंगे। इस समय में व्रत और पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

कामदा एकादशी व्रत कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, भोगीपुर नामक एक नगर था, जहां राजा पुण्डरीक रहते थे। इस नगर में अप्सरा, किन्नर और गंधर्व रहते थे। यहां एक अत्यंत वैभवशाली स्त्री ललिता और पुरुष ललित का प्रेम बहुत प्रसिद्ध था। दोनों के बीच गहरा प्रेम था और वे एक-दूसरे से कभी अलग नहीं हो पाते थे।

एक दिन ललित राजा पुण्डरीक के दरबार में गंधर्वों के साथ गाने गए, लेकिन गाते-गाते उन्हें ललिता की याद आ गई, जिसके कारण उनके सुर बिगड़ गए। यह देख राजा पुण्डरीक क्रोधित हो गए और गुस्से में आकर ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया। श्राप के परिणामस्वरूप, ललित तुरंत विशालकाय राक्षस के रूप में बदल गए, जिसका शरीर आठ योजन लंबा हो गया।

ललिता ने जब यह सुना, तो वह बहुत दुखी हुई और अपने पति के राक्षस रूप से मुक्ति के लिए उपाय ढूंढ़ने लगी। वह विन्ध्याचल पर्वत पर पहुंचे, जहां उसे श्रृंगी ऋषि मिले। ललिता ने ऋषि से अपने पति के लिए उपाय पूछा। श्रृंगी ऋषि ने कहा कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे कामदा एकादशी कहते हैं, इस दिन व्रत रखने से सभी समस्याओं का समाधान होता है। यदि वह यह व्रत रखें, तो ललित को राक्षस योनि से मुक्ति मिल जाएगी।

ललिता ने श्रृंगी ऋषि की बात मानी और एकादशी के दिन विधिपूर्वक व्रत रखा। द्वादशी के दिन उसने ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान किया। ललिता ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, “हे प्रभु! मैंने जो व्रत किया है, इसका फल मेरे पति को प्राप्त हो और वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएं।”

भगवान विष्णु ने ललिता की भक्ति और श्रद्धा को स्वीकार किया और ललित को राक्षस योनि से मुक्ति प्रदान की। इसके बाद ललित अपने पुराने रूप में लौट आए और दोनों स्वर्ग लोक के लिए विमान में सवार हो गए।

कामदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से पापों से मुक्ति, सुख-शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, व्रत कथा पढ़ने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

डिस्क्लेमर: यहाँ दी गई सभी जानकारियाँ सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। KHABRE JUNCTION इसकी पुष्टि नहीं करता। इसके लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

 

 

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