कैथल डीसी हाउस बिल्डिंग सोसाइटी की ज़मीन की नीलामी रद्द – लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: पवन कुमार बंसल।

कैथल डीसी हाउस बिल्डिंग सोसाइटी की ज़मीन की नीलामी रद्द – लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

नीलामी का मामला और विवाद

कैथल की डीसी हाउस बिल्डिंग सोसायटी की ज़मीन की नीलामी का मामला दिन-प्रतिदिन और उलझता जा रहा है। याद रहे कि सौ करोड़ रुपये से अधिक कीमत की ज़मीन को करीब तेरह करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया गया था। आम आदमी पार्टी के ज़िला कैथल अध्यक्ष जगमग मटौर और मास्टर सतबीर गोयत द्वारा विरोध किए जाने के बाद हरियाणा सरकार ने नीलामी रद्द कर दी थी। लेकिन अब भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि नीलामी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

नागरिकों के सवाल: नीलामी रद्द क्यों हुई?

यदि नीलामी सही थी तो इसे रद्द क्यों किया गया? और यदि नीलामी में कोई दोष था तो नीलामी के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह सवाल लोगों के बीच लगातार गूंज रहा है।

इतिहास में आंतरिक विवाद और भू-माफिया की सक्रियता

करीब 35 साल पहले कैथल के तत्कालीन डीसी हरबख्श सिंह ने डीसी कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक सोसायटी बनाई थी। उस समय खरीदारी में अनियमितताओं के आरोप लगे थे और मंत्री तेजिंदर मान की शिकायत के बाद यह मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो को भेजा गया था। इस बीच, कैथल का तेजी से विकास हुआ और सनसिटी बिल्डर ने अपनी कॉलोनी भी पास में विकसित कर दी, जिससे ज़मीन के दाम आसमान छूने लगे। सोसायटी में आंतरिक विवादों के कारण कांप्लेक्स का विकास नहीं हो सका और भू-माफिया की नजर इस प्रमुख ज़मीन पर थी।

नीलामी प्रक्रिया और रद्दीकरण

हरियाणा सरकार ने इस ज़मीन की नीलामी करने का फैसला किया और इसके लिए करनाल के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसमें रजिस्ट्रार सहकारी समितियां हरियाणा और डीसी कैथल शामिल थे। हालांकि, आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा इस नीलामी का खुलासा किए जाने के बाद नीलामी को रद्द कर दिया गया।

आरसीएस की ओर से रद्दीकरण और सरकारी पत्र

सहकारी समितियों के संयुक्त रजिस्ट्रार, हरियाणा ने करनाल के मंडलायुक्त राजीव रतन को पत्र भेजते हुए कहा, “कार्यालय की जांच के बाद नीलामी प्रक्रिया में गंभीर खामियां पाई गई हैं, इसलिए इसे रद्द किया जाता है। यह निष्कर्ष निकाला गया है कि नीलामी में निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली का पालन नहीं किया गया था।” पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, हरियाणा, एसीएस राजस्व, सचिव सहकारिता विभाग, डीसी कैथल, डीआर सहकारी समितियां कुरुक्षेत्र और एआर सहकारी समितियां कैथल को भी भेजी गई।

राजीव रतन का बयान और कार्रवाई का सवाल

राजीव रतन, डिविजनल कमिश्नर, करनाल ने “गुस्ताखी माफ़” को बताया कि उन्होंने आरसीएस से पत्र प्राप्त किया है और जवाब भेज दिया है, जिसमें कहा गया है कि कोई अनियमितता नहीं हुई और सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। उन्होंने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि अब आरसीएस ने अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए नीलामी रद्द कर दी है, जबकि वह स्वयं नीलामी कमेटी के सदस्य थे। जब उनसे पूछा गया कि इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है, तो राजेश जोगपाल, आरसीएस ने कहा कि उनका काम केवल नीलामी को रद्द करना था।

असिस्टेंट रजिस्ट्रार का बयान

कैथल के असिस्टेंट रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, संदीप खटक ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, क्योंकि उन्होंने दो दिन पहले ही जॉइन किया है।

राजनीतिक मुद्दा और कांग्रेस की चुप्पी

यह मुद्दा आम आदमी पार्टी ने उठाया, जबकि कांग्रेस पार्टी, जिसमें 37 विधायक और 5 सांसद हैं, इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस की इस चुप्पी को लेकर राजनीति में हलचल बनी हुई है और इसके कारण यह सवाल भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस इस मामले में क्यों नहीं बोल रही है।

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