राज्यसभा में जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव, अब आगे क्या होगा?

नई दिल्लीविवादित टिप्पणियों के बाद जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ उनकी हालिया विवादित टिप्पणियों ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने एक बयान में कहा था, “देश का कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा” और मुस्लिम समुदाय को लेकर ‘कठमुल्ला’ शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद उनकी आलोचना तेज हो गई। इन टिप्पणियों के कारण जस्टिस यादव राजनीतिक और कानूनी विवादों में घिर गए हैं। इस बीच, विपक्षी दलों के सांसदों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की और आरोप लगाया कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है। इसके चलते राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का नया रोस्टर और जस्टिस यादव की कार्यशैली में बदलाव
जस्टिस शेखर यादव की कार्यशैली पर सवाल उठने के बाद, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक नया रोस्टर जारी किया है। इस बदलाव के अनुसार, जस्टिस यादव अब केवल 2010 से पहले के मामलों की सुनवाई करेंगे और उन्हें निचली अदालतों से आने वाली अपीलों का ही निपटारा करने का अधिकार होगा। पहले, वे संवेदनशील मामलों जैसे रेप और बेल की सुनवाई भी कर रहे थे, लेकिन नए रोस्टर के तहत उन्हें इन मामलों से हटा दिया गया है।

नए रोस्टर पर उठते सवाल और जस्टिस यादव पर दबाव
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी किए गए नए रोस्टर पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह बदलाव जस्टिस यादव पर किसी दबाव का परिणाम है। हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस बदलाव के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस यादव के कार्यों पर जानकारी मांगे जाने से मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

आगे का रास्ता: क्या जस्टिस यादव के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे?
यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि इस विवाद का आगे क्या परिणाम निकलता है। क्या जस्टिस यादव के खिलाफ राज्यसभा में पेश किए गए महाभियोग प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई की जाएगी या मामला यहीं ठंडा पड़ जाएगा। अब यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या सुप्रीम कोर्ट जस्टिस यादव के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा, या फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट की कार्यशैली में यह बदलाव किसी दबाव के तहत हुआ था।

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