Jaipur News: राजस्थान में भू-राजस्व से संबंधित अधिनियमों में हो सरलीकरण, तभी कम हो राजस्व मुकदमों का अंबार

जयपुर: नागौर। भू-राजस्व से संबंधित अधिनियमों और नियमों का सरलीकरण होने पर भाई-भतीजों के बीच जमीन बंटवारे, पड़ोसी और रास्ते के विवादों के मुकदमों में कमी आ सकती है। हाल ही में गठित एक कमेटी ने आठ महीने में इस विषय पर कोई सुझाव नहीं दिए।

पिछले वर्ष ही विचाराधीन मुकदमों की संख्या 6.57 लाख से ऊपर पहुँच चुकी थी, और अब एक साल के भीतर यह संख्या और बढ़ चुकी है। इस समस्या का एक कारण राजस्व अधिकारियों की कार्यकुशलता में कमी और रिक्त पदों का रहना है।

राज्य सरकार ने राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 और राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की समीक्षा और सरलीकरण के लिए एक कमेटी का गठन किया था, लेकिन आठ महीने बाद भी कमेटी ने कोई ठोस सुझाव नहीं दिए।

लंबित प्रकरणों के प्रमुख कारण:

राजस्व मामलों के विशेषज्ञों और वरिष्ठ आरएएस अधिकारियों के अनुसार, राजस्व प्रकरणों में वृद्धि के प्रमुख कारणों में राजस्व अधिकारियों के रिक्त पद और उनके प्रशिक्षण की कमी शामिल है।

फैक्ट फाइल:

1 अप्रैल 2019 तक लंबित राजस्व प्रकरण: 4,51,996
1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2024 तक पंजीकृत प्रकरण: 7,30,815
पांच साल में निपटाए गए प्रकरण: 5,24,672
31 मार्च 2024 तक लंबित प्रकरण: 6,58,139
पांच साल में बढ़े मुकदमे: 2,06,143
राजस्व के पारिवारिक प्रकरण अधिक:

विशेषज्ञों के अनुसार, बंटवारे, सहखातेदारों, और भाइयों के बीच जमीन के विवाद के अलावा, रास्तों के विवाद भी प्रमुख कारण हैं। पिछले कुछ वर्षों में, पिता की संपत्ति में बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी बराबर का हकदार बनाने से भी राजस्व प्रकरणों में वृद्धि हुई है।

पुराने प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण:

डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर ने बताया कि राज्य सरकार के त्वरित और गुणवत्तापूर्वक न्याय देने के निर्देशों के तहत, पुराने प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण किया जा रहा है। इसके साथ ही पीठासीन अधिकारियों का नियमित रूप से राजस्व न्यायालयों में बैठना सुनिश्चित किया जा रहा है, और सभी औपचारिकताएं समय पर पूरी की जा रही हैं।

 

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