जयपुर: राजस्थान सरकार किसानों की आय बढ़ाने और आर्थिक मजबूती देने के लिए कैश क्रॉप (नकदी फसल) खेती को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। चित्तौड़गढ़ समेत राज्य के नौ जनजातीय जिले अब जैविक खेती से उगाई गई लौकी और भिंडी की खेती के केंद्र बनेंगे।
इनके अलावा भी किसानों को अन्य छह प्रकार की सब्जियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग (TAD) ने उद्यानिकी विभाग के सहयोग से यह योजना बनाई है, जिससे किसानों को सालभर स्थिर आमदनी मिल सके।
बिना केमिकल उगाई जाएंगी सब्जियां
योजना के तहत किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक किया जाएगा, ताकि वे बिना रासायनिक उर्वरकों के शुद्ध और जैविक सब्जियां उगा सकें। टीएडी की ओर से किसानों को बीज और जैविक खाद मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी।
मार्च से पहले मिलेंगे बीज और जैविक खाद
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, 15 फरवरी के बाद जायद फसल की बुवाई का सही समय माना जाता है। इसलिए मार्च से पहले किसानों को बीज और खाद उपलब्ध करा दी जाएगी।
जैविक खेती से पलायन रुकेगा, किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी
उद्यानिकी चित्तौड़गढ़ के उपनिदेशक डॉ. शंकरलाल जाट ने बताया कि इस योजना से किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित किया जाएगा।
कैश क्रॉप से जुड़ने पर किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
यह पहल ग्रामीण श्रमिकों के पलायन को रोकने में मददगार साबित होगी।
किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
सरकार का फोकस किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर है।
छोटी जोत वाले किसान होंगे लाभान्वित
इस योजना का लाभ उन जनजातीय किसानों को मिलेगा जिनके पास छोटी जोत की जमीन है। इसके लिए जरूरी है कि किसान के पास कम से कम 0.05 हेक्टेयर (500 वर्ग मीटर) कृषि भूमि और सिंचाई की सुविधा हो।
जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा नहीं है, उनके लिए सब्जी की खेती में मुश्किलें आ सकती हैं। सरकार ऐसे किसानों की मदद के लिए भी नई योजनाएं लाने पर विचार कर रही है।
2,000 मिनी किट का होगा वितरण
योजना के तहत 2,000 किसानों को मिनी किट दी जाएगी, जिसमें जैविक बीज और खाद शामिल होंगे। इससे किसानों को कैश क्रॉप की ओर आकर्षित करने और आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार का मानना है कि इस पहल से राजस्थान के किसान पारंपरिक फसलों के अलावा नकदी फसलों की ओर रुख करेंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी।