international Children’s Book Day 2024: किताबों से गहरी दोस्ती है हमारी, यहां जानें 2 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस
मोबाइल और वीडियो गेमिंग में खो रहा बचपन, किताबों से बन रही दूरी
नई दिल्ली। हर साल 2 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस मनाया जाता है। एक समय था जब बच्चे घर के आंगन में खेलते हुए नजर आते थे और उनके हाथों में चंदामामा, नंदन, चंपक जैसी किताबें होती थी। लेकिन आजकल बच्चों की ये पत्रिकाएं गायब हो गई और बच्चे कहानी की किताबों के बजाय मोबाइल और वीडियो गेम में उलझ कर रह गए है।
अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस का इतिहास
इंटरनेशनल बोर्ड ऑन बुक्स फॉर यंग पीपल ने 1967 से प्रतिवर्ष 2 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस का आयोजन किया था। IBBY एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो पढ़ने के प्यार को प्रेरित करने और बच्चों की किताबों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए है। इस दिन कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें लेखन प्रतियोगिताएं, पुस्तक पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
प्रत्येक वर्ष IBBY के एक अलग राष्ट्रीय अनुभाग को ICBD का अंतर्राष्ट्रीय प्रायोजक बनने का अवसर मिलता है। यह एक विषय पर निर्णय लेता है और मेजबान देश के एक प्रमुख लेखक को दुनिया के बच्चों और एक प्रसिद्ध चित्रकार को एक पोस्टर डिजाइन करने के लिए एक संदेश लिखने के लिए आमंत्रित करता है।
मोबाइल में खो रहा बचपन
आजकल बच्चे घर में बस मोबाइल फोन पर ही डिपेंड हो गए है। इसका कारण मात्र बच्चे ही नही है। आजकल स्कूलों में बच्चों को होमवर्क भी मोबाइल से देखकर करने के लिए दिए जाते है। ऑनलाइन क्लासेज और सोशल मीडिया पर बच्चों को रूझान भी बच्चों के किताबों से दूरी का एक कारण है। वर्तमान समय में बेहद कम उम्र के बच्चे भी सोशल मीडिया पर रिल्स और शार्ट वीडियो बनाते नजर है। जो समय उनके पढ़ाई और खेलने-कूदने का वह समय में बच्चे रिल्स, वीडियो में समाप्त कर दे रहे है। इसके लिए बच्चे ही अभिभावक भी जिम्मेदार है। मोबाइल बच्चों के लिए लाभदायक कम हानिकारक ज्यादा है।
घर पर बच्चों के साथ ऐसे मनाए अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस
इस बार आप अपने घर ही बाल पुस्तक दिवस मना कर बच्चों को किताबों की ओर ध्यान आकर्षित करने का काम कर सकते है। आप परी की पायल, उजली धूप, सातवां जन्म, बोलते खंडहर, मां और मैं, चंपक, बच्चों की कहानियां जैसी कई बाल पुस्तकों को घर लाकर अपने बच्चों के दे खुद भी उनके साथ बैठकर किताबें पढ़ें और बच्चों को भी किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करे। घर में बच्चों की किताबें और पत्रिकाएं होंगी तो रुचि बढ़ेगी।