भारत की नई शिक्षा नीति को उभरते देशों द्वारा अपनाया जा सकता है: प्रधान

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि शिक्षा सतत विकास और वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में मददगार है। भारत की नई शिक्षा नीति (एनईपी) एक ऐसा मॉडल है जिसे अन्य उभरते देश भी अपना सकते हैं। प्रधान ने यह बात तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ में कही। इस समिट में प्रधान और अन्य देशों के शिक्षा मंत्रियों ने शिक्षा की प्राथमिकताओं पर चर्चा की और मिलकर काम करने के तरीकों पर विचार किया।

प्रधान ने कहा, “शिक्षा सतत विकास और वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ कौशल ही नहीं, बल्कि प्रतिभा, नवाचार और मजबूत समुदाय बनाने में भी मदद करती है।” उन्होंने बताया कि भारत की एनईपी देश की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव ला रही है। उन्होंने कहा, “एनईपी-2020 भारत की शिक्षा में बड़ा परिवर्तन कर रही है। इसका लक्ष्य भारत के युवाओं को वैश्विक नागरिक बनाना और भारत को 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है।”

शिक्षा मंत्री ने कहा, “एनईपी सिर्फ एक नीति नहीं है, बल्कि एक ऐसा मॉडल है जिसे अन्य उभरते देश भी अपना सकते हैं।” प्रधान ने कहा कि भारत एक विश्वसनीय साथी के रूप में मानव संसाधन विकास में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए शोध पर फोकस करता है। हम ‘स्टडी इन इंडिया’ और ग्लोबल साउथ स्कॉलरशिप जैसे कार्यक्रमों के जरिए उच्च शिक्षा के अधिक अवसर प्रदान करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी सहयोग की शक्ति बढ़ेगी, नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, शिक्षा के अवसर समान होंगे, हमारे युवा भविष्य के लिए तैयार होंगे, और हमारा देश एक ज्ञान आधारित समाज बनेगा।”

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