2024 में भारतीय आवास बाजार में महामारी के बाद पहली बार गिरावट दर्ज की गई। नए घरों की बिक्री में 4% की कमी आई, जिसका मुख्य कारण आवास कीमतों में तेजी और होम लोन की बढ़ी हुई दरें थीं। इन बदलावों ने खासतौर पर मध्यम और किफायती आवास क्षेत्र को प्रभावित किया है।
लक्जरी घरों की बढ़ी मांग
हालांकि, लक्जरी घरों की बिक्री और निर्माण में तेजी देखी गई। संपत्ति सलाहकार एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, लक्जरी फ्लैट, विला और पेंटहाउस में अमीर घर खरीदारों की रुचि लगातार बनी रही है। प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ लिमिटेड ने गुरुग्राम में अपनी सुपर लक्जरी परियोजना ‘द डहलियाज’ पेश की है, जिसकी अनुमानित कीमत 26,000 करोड़ रुपये है।
पिछले सालों की तुलना में सुस्त रफ्तार
2020 में 47% की गिरावट के बाद, 2021, 2022 और 2023 में आवासीय बाजार में तेज वृद्धि देखी गई। हालांकि, 2024 में पिछले उच्च आधार और सप्लाई की कमी के कारण रफ्तार धीमी पड़ गई। एनारॉक के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में घरों की बिक्री में 31% की वृद्धि हुई थी, लेकिन इस साल बिक्री में गिरावट आई है।
आयकर में छूट बढ़ाने की मांग
रियल एस्टेट कंपनियां अब सरकार से आयकर अधिनियम के तहत होम लोन पर ब्याज कटौती की सीमा बढ़ाने की मांग कर रही हैं। उनका मानना है कि इससे घर खरीदारों को प्रोत्साहन मिलेगा और बिक्री में वृद्धि होगी।
औद्योगिक और ऑफिस स्पेस की बढ़ी मांग
जहां आवासीय बाजार धीमा पड़ा है, वहीं औद्योगिक और लॉजिस्टिक क्षेत्र में उछाल देखा गया है। ई-कॉमर्स और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा है। इसके साथ ही ऑफिस स्पेस की मांग भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है, जिससे कोवर्किंग कंपनियां आईपीओ लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं।
आगे की उम्मीदें
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि उपभोक्ताओं की रुचि घर खरीदने की ओर बढ़ी है। बेहतर जीवनशैली की चाहत और बड़े घरों की मांग इस बदलाव के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि आगामी बजट रियल एस्टेट सेक्टर के लिए राहत लेकर आएगा।
नज़रें बजट पर
रियल एस्टेट उद्योग की उम्मीदें अब सरकार के आगामी बजट पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नीतिगत समर्थन से बाजार में नई जान आएगी और किफायती और मध्यम वर्गीय आवास खंड में सुधार से सेक्टर को नई दिशा मिल सकती है।