नई दिल्ली: भारत 17 अगस्त 2024 को वर्चुअली तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों के लिए भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। पिछले शिखर सम्मेलनों की तरह ही इस बार भी खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी जटिल चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
पिछले संस्करणों का सारांश
भारत ने बीते साल 12-13 जनवरी को पहला वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन आयोजित किया था, और दूसरा सम्मेलन 17 नवंबर 2023 को हुआ था। इन दोनों सम्मेलनों की मेज़बानी भारत ने ही की थी।
सम्मेलन का विषय
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बार सम्मेलन का विषय ‘एक सतत भविष्य के लिए एक सशक्त वैश्विक दक्षिण’ होगा।
विदेश मंत्रालय की टिप्पणी
विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ दृष्टिकोण के विस्तार के रूप में शुरू की गई है। यह भारत के वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) के दर्शन पर आधारित है।
तीसरे संस्करण की विशेषताएं
तीसरे संस्करण में, ग्लोबल साउथ के देशों के साथ एक साझा मंच पर चर्चा की जाएगी। देशों की चुनौतियों, प्राथमिकताओं और विकास के क्षेत्र में समाधानों को लेकर विचार साझा किए जाएंगे। उद्घाटन सत्र राज्य सरकार के प्रमुखों के स्तर पर होगा और इसकी मेज़बानी प्रधानमंत्री मोदी करेंगे।
पीएम मोदी का दृष्टिकोण
दूसरे संस्करण में, पीएम मोदी ने कहा था कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती दुनिया का सबसे अनूठा मंच है। भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ हमेशा से रहा है, लेकिन उसे इस प्रकार से आवाज पहली बार मिल रही है। यह हमारे साझा प्रयासों से हो पाया है, और हमारे 100 से ज्यादा अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकताएं समान हैं।