राष्ट्रहित में पक्ष और विपक्ष के सभी नेताओं को साथ बैठकर गंभीर होती जनसंख्या वृद्धि का हल निकालना चाहिए : अधिवक्ता अरविन्द पुष्कर
राष्ट्रहित में सभी नेताओं को साथ मिलकर जनसंख्या नियंत्रण हेतु व्यापक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए : अधिवक्ता अरविन्द पुष्कर भारत में बेरोजगारी एवं आर्थिक विपन्नता को दूर करना है तो सबसे पहले बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना चाहिए : अधिवक्ता अरविन्द पुष्कर बढ़ती जनसंख्या विकास में सबसे बड़ी बाधक, जनसंख्या नियंत्रण कानून तात्काल लाना बेहद जरुरी : अधिवक्ता अरविन्द पुष्कर
आगरा। भारत में समस्याओं का मुल वस्रण ही बढ़ती जनसंख्या है। इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून तात्काल लाना बेहद जरुरी है। भारत में बेरोजगारी, अराजकता एवं आर्थिक विपन्नता को दूर करना है तो सबसे पहले बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण विना देश में बेरोजगारी दूर करना बेइमानी है।
देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या के साथ असंतुलन बढ़ने पर देशहित में चिंता जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द पुष्कर ने बताया कि हाल के समय में विश्व की जनसंख्या में बड़ा बदलाव आया है। इस तीव्र वृद्धि के कारण कई महत्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश भी बन गया है। अब हमारे देश में जनसंख्या बढ़ने से सकारात्मक कम नकारात्मक प्रभाव ज्यादा देखने को मिल रहे हैं और लगातार बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चिंता का विषय बन गयी है। अब बढ़ती जनसंख्या दुनिया के लिए खुशी नहीं बल्कि मुश्किल का पहलू बनती जा रही है, क्योंकि जिस हिसाब से हमारे देश में आबादी बढ़ रही है। उस हिसाब से सुविधाएं नहीं हैं, लिहाजा बढ़ती आबादी लगातार जीवनस्तर पर असर डाल रही है और इसे बदतर बन रही है। बढ़ती आबादी के कारण ज्यादातर लोग बेरोजगार और गरीब हो रहे हैं और इससे कई तरह के खतरे भी पैदा हो गए हैं। लगातार जनसंख्या वृद्धि गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, संसाधनों की कमी, बढ़ता प्रदूषण जैसी कई मुद्दों की बहुत बड़ी वजह बन गयी है। इतना ही नहीं इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी भयंकर असर पड़ रहा हैं है। आज की तारीख़ में भी भारत में बेरोज़गारी एक ज्वलंत समस्या है और लगातार बढ़ रही जनसंख्या की वजह से ये समस्या भविष्य में एक भयानक और विकराल रूप ले सकती है। जब एक बड़ी आबादी की वजह से काम करने की क्षमता रखने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या खड़ी हो जाएगी और इस बड़ी संख्या को रोज़गार उपलब्ध करवाना किसी भी सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होंगी और भविष्य में यही रोज़गार की कमी आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, अपराध, संसाधनों की कमी, भोजन की कमी, पानी की कमी, बढ़ती ग़रीबी, बीमारियों में बृद्धि भुखमरी को और बढ़ाने का काम करेगी, जिससे सामाजिक अशांति फ़ैलने की संभावना हमेशा देश में बनी रहेगी। लगातार जनसंख्या वृद्धि की वजह से ही बेरोजगारी समेत कई तरह की समस्याएं समाज में विकराल रूप ले रहे हैं, पानी की समस्या, जमीन की कमी, प्रदूषण, अस्वच्छता, बेरोजगारी, ग्लोबल वार्मिंग, ट्राफिक समस्या, क्राइम की बडोत्री, जातीय धार्मिक अशांतता, अस्थिरता, आतंकवाद शिक्षा, आरोग्य सेवा के ऊपर अतिरिक्त वाण और देश के नागरिकों की मानसिक अशांतता, जनसंख्या ज्यादा और नॅचरल रिसोर्सेस तथा मानव निर्मित रिसोर्सेस कम पड़ रहे है। इस सबका मूल कारण ही बढ़ती जनसंख्या है। हम दो हमारे दो सबके दो जनसंख्या नियंत्रण कानून तात्काल लाना होगा। इस विषय पर हम सब भारतवासीय का सकारात्मक और गंभीरता से सोचना चाहिए। ऐसी स्थिति में जनसंख्या नियंत्रण कानून के माध्यम से ला करके देश को जनसंख्या में नियंत्रण प्रगति की ओर अग्रसर कर सकते हैं।
श्री पुष्कर ने देश के लिए इस गंभीर होती समस्या पर चिंता जाहिर करते हुए आगे कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। राष्ट्रहित में देश के विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण हेतु व्यापक राष्ट्रीय नीति बहुत जरूरी हैं, क्योकि कुछ इलाकों में आबादी का संतुलन नहीं हैं। बताया जा रहा है कि देश में कुल 800 जिलों में से 200 जिलों का जनसांख्यिकी अनुपात बिगड़ गया है जिससे आने वाले समय में देश के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। हमें इसके प्रति और भी अधिक सतर्क रहना चाहिए। देखा जाये तो गंभीर होती इस समस्या के निदान के लिए पक्ष और विपक्ष के सभी नेताओं को साथ बैठ कर इसका हल निकालना चाहिए।बच्चे दो ही अच्छे, बढ़ती जनसंख्या विकास में सबसे बड़ी बाधक है। भारत में सब समस्या का मुल कारण ही बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या है, इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून तात्काल लाना जरूरी है, क्योंकि इसका असर दिखने में पच्चीस साल लग जायेंगे। पच्चीस साल के बाद ही इसके अच्छे परिणाम याने रिझल्ट दिखने शुरू हो जायेंगे। जितना कानून लेट हो जायेगा उतना ही बुरा असर देश के उपर होता रहेगा। पहले ही यह कानून बहुत लेट हो चुका है। इसलिए सभी नेताओं को साथ बैठ कर इसका हल निकालना चाहिए और राष्ट्रहित में वोट बैंक की राजनीति को पीछे रखते हुए सभी दलों को हिम्मत दिखानी चाहिए। विभाजन की विभीषिका और सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से गलत विस्थापन से सीख लेते हुए, हमें इस मुद्दे को तत्काल हल करना चाहिए। तो आइए, हम सब मिलकर अपने देश और अपने समाज के प्रति जागरूक बने एवं बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों के प्रति अन्य लोगों को जागरूक करें। क्योकि सशक्त राष्ट्र एवं सुखी व समृद्ध समाज की स्थापना में जनसंख्या वृद्धि बहुत बड़ी बाधक है। आइए, समाज को जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने एवं घर-घर तक पहुंचाने हेतु संकल्पित हों।