हिंदू धर्म में व्रत या उपवास का विशेष महत्व है। सप्ताह में कुछ दिन ऐसे होते हैं जब घर के अधिकांश सदस्य उपवास करते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान कई लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। इस अवधि में साधारण नमक का त्याग कर सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। सेंधा नमक के फायदे शास्त्रों में बताए गए हैं, और इसका उल्लेख बाइबल में भी मिलता है। इसी वजह से व्रत में इसे विशेष महत्व दिया जाता है। आइए जानते हैं सेंधा नमक का महत्व और इसके फायदे।
बेहद शुद्ध होता है सेंधा नमक
शास्त्रों के अनुसार, व्रत के दौरान खानपान में सेंधा नमक का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि इसे अत्यधिक शुद्ध माना जाता है। सेंधा नमक को किसी भी रासायनिक प्रक्रिया से नहीं बनाया जाता, यही कारण है कि यह शुद्धता में सर्वोत्तम होता है। भारत में इसकी उत्पत्ति कम होती है, लेकिन पाकिस्तान में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। भारत में इसे मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और राजस्थान से ढील के रूप में लाया जाता है।
व्रत में सेंधा नमक क्यों खाया जाता है?
व्रत के दौरान साधारण भोजन और फलाहार को प्राथमिकता दी जाती है। जिन लोगों के लिए स्वास्थ्य कारणों से नमक का त्याग संभव नहीं है, वे सेंधा नमक का उपयोग करते हैं। इसका सेवन इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का रसायन नहीं होता और यह बहुत ही शुद्ध माना जाता है। व्रत के दौरान यदि शरीर में थकावट महसूस होती है, तो सेंधा नमक का प्रयोग शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक होता है। इसलिए नवरात्रि व्रत में इसे विशेष महत्व दिया जाता है।
सेंधा नमक के स्वास्थ्य लाभ
व्रत के समय शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिनमें थकावट और तनाव का बढ़ना सामान्य है। लंबे समय तक उपवास करने से तनाव बढ़ सकता है और इससे मन पूजा-पाठ से भटक सकता है। सेंधा नमक का सेवन करने से शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है, जिससे तनाव कम होता है। इसके साथ ही, सेंधा नमक वजन घटाने में भी सहायक होता है।
सेंधा नमक न केवल व्रत के दौरान शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।