पत्रकार की स्रोत की पहचान की रक्षा करने की विश्वसनीयता हो तो उसे शीर्ष गुप्त सरकारी फाइल घर बैठे मिलती है

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा – पवन कुमार बंसल

पत्रकार की स्रोत की पहचान की रक्षा करने की विश्वसनीयता हो तो उसे शीर्ष गुप्त सरकारी फाइल घर बैठे मिलती है – पुरानी यादें जब मनोहर लाल हरियाणा के सीएम थे। जब मुझे मनोहर लाल कीं अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त खरीद समिति की बैठक के मिनटों वाला लिफाफा मिला l पत्रकारिता कीं भाषान में यह स्कूप था। एक दिन सुबह-सुबह फ्लैट के दरवाजे की घंटी बजी और जैसे ही मैं बाहर आया एक व्यक्ति ने पूछा “क्या आप पवन कुमार बंसल हैं”। मेरी पुष्टि पर उसने फिर से जांच की और मुझे एक लिफाफा दिया और बताया कि साहब ने भेजा है।
सुबह की चाय के बाद जब मैंने लिफाफा खोला तो यह मेरे लिए एक बड़ा उपहार था।

दरअसल उन दिनों मुझे जानकारी मिल रही थी कि हरियाणा के एक ताकतवर नेता चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख कार्यक्रम “अटल शुद्ध पेयजल योजना” के तहत पाइप सप्लाई के लिए उनकी पसंद की कंपनी को कॉन्टैक्ट दिया जाए। लेकिन चूंकि वह कंपनी दागी थी। इसलिए उच्चाधिकार प्राप्त खरीद समिति की बैठक में उनकी बोली पर विचार नहीं किया जा सकता था l इसलिए शक्तिशाली राजनेता ने अपनी पसंदीदा फर्म को समायोजित करने के लिए एक फार्मूला खोजा।

उन्होंने अधिकारियों को आठ सौ करोड़ रुपये के ऑर्डर स्थगित करने का निर्देश दिया। हालांकि जानकारी प्रामाणिक थी स्रोत लेकिन मुझे सरकारी दस्तावेजों की जरूरत थी.l दुम्छला l.लिफाफे में हाई पावर्ड परचेज कमेटी के मिनट्स की कॉपी थी जिसमें लिखा था कि हाई पावर्ड परचेज कमेटी के चेयरमैन की इच्छा है कि आठ सौ करोड़ रुपये के ऑर्डर को टाल दिया जाए.l और हर कोई जानता है कि कौन है उच्चाधिकार प्राप्त क्रय समिति के अध्यक्ष.l मेरे सोर्सेज़ को मेरा सलामli

Leave A Reply

Your email address will not be published.