“ऐसा आदेश देंगे कि जीवन भर याद रहेगा”: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के DGP को क्यों लगाई फटकार?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (28 नवंबर) को उत्तर प्रदेश पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई और यूपी पुलिस के अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यूपी पुलिस “ताकत का आनंद” ले रही है और उसे अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है।

यह मामला अनुराग दुबे उर्फ डब्बन नाम के आरोपी से जुड़ा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी। लेकिन इसके बाद यूपी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ नया मुकदमा दर्ज कर लिया, जिससे आरोपी पर फिर से गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा। इस वजह से आरोपी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पुराने मामले की जांच में शामिल नहीं हो पा रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए यूपी सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील राना मुखर्जी से कहा, “आप अपने डीजीपी को बता दीजिए कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ गया, तो हम ऐसा आदेश देंगे कि वह जीवन भर याद रखेंगे। यह नहीं चल सकता कि आप हर बार याचिकाकर्ता पर नया केस फाइल कर दें। हमने उसे अंतरिम राहत दी है और जांच में सहयोग के लिए कहा है, उसे ऐसा करने दीजिए।”

मामले की पृष्ठभूमि

अनुराग दुबे उर्फ डब्बन और उसके भाइयों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। डब्बन ने मारपीट, धमकी और अवैध तरीके से संपत्ति में घुसने के आरोपों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने इन मामलों को रद्द करने की अपील की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रद्द नहीं किया, लेकिन आरोपी की गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत प्रदान की। कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने पर विचार कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि डब्बन को फोन पर जांच के लिए नोटिस भेजा जा सकता है, और नोटिस मिलने पर उसे जांच में सहयोग देना होगा। लेकिन जब आरोपी पर लगातार नए केस दर्ज किए जा रहे थे, तो वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जांच में पेश नहीं हो पा रहा था, जिसके कारण अदालत ने यूपी पुलिस के रवैये पर कड़ी फटकार लगाई।

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