होमियोपैथी चिकित्सक : एक सर्व विशेषज्ञ
स्त्री, पुरुष, बच्चा और विशेष अंगों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ चिकित्सकों पर आधारित चिकित्सा पद्धति के विपरित एक मात्र होमियोपैथ है,जहां होमियोपैथी चिकित्सक को सर्व विषेशज्ञता प्राप्त होता है। जैव शक्ति का सिद्धांत (vital force theory), कार्य व कारण (Cause and effect), और समः समम् शमयति (similia similibus and curenter) जैसे प्रकृति के शाश्वत और अकाट्य सिद्धांतो पर होमियोपैथ चिकित्सा पद्धति आधारित है, जिसमें रोग, रोगी, रोग के कारण और उसके निवारण के सारे तरीके अन्य चिकित्साओं से अलग,जैव विज्ञान सम्मत है।
रोग हमारे अंगों में नहीं,पहले हममें होता है अर्थात हमारे मन में,फिर हमारी जीवनी शक्ति कमजोर होता है,तब कोई भी वाह्य कारण जैसे फंगस, बैक्टीरिया और वायरस का हम पर हमला होता है,जो हमारे रोगों का द्वितीय कारक है।प्राथमिक कारक तो हमारा मन और हमारी जीवनी शक्ति है। वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य संकट (corona virus disease) में जो आम रुप से वैज्ञानिक तथ्य सामने आया, उसका कारण रोग प्रतिरोधी हीं है। इम्यून सिस्टम हमारे जेनेटिक सिक्वेंस और जीवनी शक्ति Vital Force का हीं परिणाम है। हमारे शरीर में कोई भी रोग जीवनी शक्ति में डिरेंजमेंट से होने वाले मियाज्म (psora, syphilis, psychosis )के कारण होता है।
प्रचलित चिकित्सा में एक रोग से ग्रस्त सभी रोगियों पर एक हीं तरह कि दवा दी जाती है वहीं होमियोपैथ में रोग नहीं वरन रोगी के विशिष्ट लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवा का चयन होता है। बहुत दुर से दिखने वाली धुआं, वहां आसपास में आग होने का संकेत देता है।आग कारण है और धुआं का उठना उसी का कार्य है।शरीर के अंगों पर दिखने वाला रोग, कार्य है तो उसका कारण इम्यून सिस्टम है। धुआं तभी मिटेगी जब आग बुझेगी।शरीर से भी रोग तभी हटेंगे जब इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने वाला जीवनी शक्ति का प्रवाह ठीक होगा।
अंगों में दिखने वाले रोग जो भी हों पर उसका कारण एक हीं जीवनी शक्ति है। रोग के सुक्ष्म कारण और सुक्ष्म आण्विक गुणों से युक्त होमियोपैथी दवा समरुपता के सिद्धांतो पर काम करती है।किसी भी लिंग,उम्र और रोगों कि स्थिति में रोगी से मानसिक, शारीरिक और रक्त सम्बंध पारिवारिक सम्पूर्ण लक्षण लिए जाते हैं और इसके समरुप दवा का चयन कर रोगी को दिया जाता है। अन्य चिकित्साओं में किसी भी रोग या शारीरिक समस्याओं के दिखने बाद उसकी दवा खोजी जाती है,वहीं होमियोपैथ चिकित्सा का विज्ञान अद्भुत और विस्मय से भरा है।जहां पहले से हीं किसी रोग परिस्थितियों के लिए दवा मौजूद है।ट्युमर,अल्सर, पित्ताशय और किडनी का स्टोन, बवासीर, भगंदर, फिसर, हड्डियों का ग़लत दिशा में बढ़ना, बच्चेदानी, गड़बड़ी, विशैले फोरा, ऐला और मस्सा जैसे शल्यक्रिया जनित रोगों में भी विना चीड़ा के होमियोपैथी दवा से सफल इलाज किया जाता है।
कभी-कभी एक हीं रोगी, एक साथ कई रोगों से ग्रस्त होता है, जैसे गैस्ट्रिक,चर्म रोग, ह्रदय रोग,मुत्र रोग, लकवा, नपुंसकता, स्त्री है तो बांझपन, मानसिक, किडनी, लीवर, नसों और अन्यान्य विमारी । इस परिस्थिति में सम्बंधित रोग के लिए अलग-अलग विशेषज्ञों से मिलने के बजाय होमियोपैथी चिकित्सक के पास यदि कोई रोगी आता है तो उस रोगी के सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर एक हीं दवा निर्वाचित कर दिया जाता है।जो रोग पहले हुआ वह बाद में और जो रोग बाद में हुआ वह पहले ठीक होता है और इसी तरह क्रमशः विमारी से मुक्त होता चला जाता है। वहीं एक हीं रोग से ग्रस्त अनेकों रोगी को उसके व्यक्तिगत विशिष्ट लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवा दी जाती है।इस तरह होमियोपैथी चिकित्सा के अकाट्य सिद्धांतो,शक्तिकृत आण्विक दवाओं के अनुप्रयोग और रोग को मूल जड़ से समाप्त करने कि विधिः होमियोपैथ चिकित्सक को सम्पूर्ण विशेषज्ञता सिद्ध कराता है।