महाकुंभ में शामिल होने पाकिस्तान से भारत आएंगे हिंदू, गंगा में विसर्जित करेंगे अस्थियां

लखनऊ: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला 2025 में एक अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान से एक हिंदू परिवार भारत आएगा और वे संगम में पवित्र स्नान करेंगे, साथ ही अपने मृतक रिश्तेदारों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करेंगे।

भारत सरकार ने दी पाकिस्तान के हिंदू परिवारों को विशेष अनुमति
भारत सरकार ने पाकिस्तान के हिंदू परिवारों को धार्मिक कार्य के लिए अस्थियां लाने की विशेष अनुमति दी है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा।

भारत में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी धार्मिक प्रक्रियाएं
कराची स्थित श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्रमुख सेवक महंत श्री रामनाथ महाराज पहले भी भारत आ चुके हैं। उन्होंने 2011 और 2016 में पाकिस्तान से अस्थियां लेकर भारत में गंगा में विसर्जन किया था। इस बार वह फिर से यही धार्मिक प्रक्रिया दोहराने जा रहे हैं।

30 लाख हिंदुओं की आस्था पूरी होने का अवसर
पाकिस्तान में लगभग 30 लाख हिंदुओं के लिए महंत श्री रामनाथ महाराज का भारत आना एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण अवसर है। मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना उनके धार्मिक विश्वास का अहम हिस्सा है।

पाकिस्तान से 480 हिंदू परिवारों की अस्थियां भारत लाई जाएंगी
इस बार पाकिस्तान से 480 हिंदू परिवारों की अस्थियां भारत लाई गई हैं। ये अस्थियां वर्षों से श्मशान घाटों और मंदिरों में सुरक्षित रखी गई थीं क्योंकि परिवार गंगा में इनका विसर्जन करना चाहते थे।

महंत श्री रामनाथ महाराज करेंगे अस्थि विसर्जन का नेतृत्व
इन अस्थियों का विधिपूर्वक विसर्जन पहले हरिद्वार में किया जाएगा और फिर महाकुंभ के दौरान संगम में इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाएगा। महंत श्री रामनाथ महाराज इस धार्मिक कार्य की अगुवाई करेंगे, और वह अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंच चुके हैं।

अस्थि विसर्जन का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, गंगा में अस्थियों का विसर्जन आत्मा को शांति प्रदान करता है। इस विश्वास को साकार करने के लिए भारत सरकार की नई नीति ने कई परिवारों की आस्था को और बल दिया है।

धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों के लिए 10 दिनों का वीजा
भारत सरकार ने महंत श्री रामनाथ महाराज और उनके साथियों को 10 दिनों का वीजा प्रदान किया है, ताकि वे इस धार्मिक कार्य को पूरा कर सकें। महाकुंभ 2025 का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को सम्मान देता है, बल्कि भारत-पाकिस्तान के सांस्कृतिक संबंधों को भी एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाता है।

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