मदरसा शिक्षा बोर्ड पर हाई कोर्ट के निर्णेय का स्वागत लेकिन पुन: विचार की भी जरुरत : फरहत अली खान

रामपुर। अखिल भारतीय मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत खान ने कहा कि मानिए हाईकोर्ट ने मदरसा शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन और कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए 16512 जिसमें सरकार से अनुदानित पास 560 और 8500 गैर मान्यता प्राप्त मदारिस हैं , जो कि राज्य सरकार की स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा किए जाने के औचित्तय पर सवाल उठाए गए थे । 2023 में जांच के लिए एस आई टी का गठन किया गया था । जांच में 13000 मदारिस में गड़बड़ियां पाई गई । कई के अवैध रूप से संचालन के प्रमाण मिले । इनको बंद करने की तैयारी चल रही है । हाईकोर्ट ने मदरसा छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार में उन्हें सरकारी स्कूलों में समायोजित कर शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने का निर्देश दिया है । माननीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से इतना निवेदन है कि जिन लोगों ने मदारिस से शिक्षा प्राप्त कर डिग्रियां प्राप्त कर ली हैं , उनकी डिग्रियों को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए । जो लोग मदारिस के अतिरिक्त नौकरियां कर रहे हैं उन्हें भी यथावत रहने दिया जाना चाहिए । मदारिस में पढ़ने वाले अधिक तर शिक्षार्थी निर्धन और अनाथ होते हैं उनके लिए उचित प्रबंधन की जरूरत है, अन्यथा यह बच्चे मदारिस से तो वंचित हो जाएंगे साथ में यह स्कूल भी नहीं जा पाएंगे। इनके लिए विशेष प्रबंध जरूरी है । उन्होंने कहा कि भारत में ऐसे भी विद्यालय चलते हैं जिसमें मुस्लिम या अन्य समाज के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाता है और उनके प्रबंधन में भी कोई गैर समुदाय या धर्म का व्यक्ति नहीं रखा जाता, जहां धर्मनिरपेक्षता का पूरा उल्लंघन होता है । जिस पर हमें कोई आपत्ति नहीं । माननीय उच्च न्यायालय और सरकार को मदारिस के विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर अत्यंत गंभीर होने की जरूरत है क्योंकि मुस्लिम समाज किसी बोर्ड के खत्म होने पर निर्भर नहीं बल्कि शिक्षा पर निर्भर होना चाहता है। मुस्लिम महासंघ इस हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करता है। मुस्लिम समाज से अपील करता है मानिए हाईकोर्ट के निर्णय का सभी स्वागत कर,शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें।

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