गुस्ताखी माफ़ हरियाणा- पवन कुमार बंसल
संघ के चहेते है गुरुग्राम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर इसलिए महामहिम बंडारू भी है लाचार गुरुग्राम यूनिवर्सिटी और गुरुग्राम पुलिस मिलकर नकल के मामले को उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर को प्रताड़ित कर रही है l हमारी जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है l कायदे कानून का उलंघन करके नियुक्ति करने के मामले को लेकर यूनिवर्सिटी चर्चा में है l यहां नियुक्ति की एकमात्र योग्यता नागपुरी संतरा होना है l इस मामले में पुलिस ने भी यूनिवर्सिटी के इशारे पर इतनी तेजी से कारवाई की मानो किसी खतरनाक आंतकवादी के खिलाफ कार्रवाई कर रही हो l हमारी जांच के मुताबिक यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुई पी आर ओ भर्ती मामले को उजागर करने वाले यूनिवर्सिटी कर्मचारियों के खिलाफ ही रजिस्ट्रार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी के तीन चार कर्मचारियों ने भर्ती प्रक्रिया का विडीयो वायरल किया है। हरियाणा की ईमानदार सरकार कहती है कि हमारी सरकार में नौकरी बिना खर्ची व बिना पर्ची के मिलती है यहाँ तो उल्टा चोर कोतवाल को डाँटने वाली बात हो रही है। हद तो तब हो गई जब यही इसी पोस्ट पर जिसव्यक्ति लगाया गया है । इसे पहली हुई परिक्षा में सौ में से अठारह नम्बर लेने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पेपर में पास कर दिया था और इनटरवयू के लिय योग्य बताया था लेकिन मामला मीडिया में आने के बात इस भर्ती को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रद्द कर दिया था । लेकिन उसका रसूख़ इतना है कि उसने नौकरी लगने से पहले ही बता दिया था कि कोई कुछ भी कर ले लेकिन पी आर ओ के पद पर तो वही लगेगा. वायरस हो रहे वीडियो में वो अपने हाथ में स्मार्ट वॉच में बेईमानी करता दिख रहा है। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन को नज़र नहीं आया । अब ये पुरा घटनाक्रम आम जन के सामने लाने वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई है और उनको परेशान किया जा रहा है । सेक्टर पचास के जाँच अधिकारी ने उपरोक्त कर्मचारियों को कॉल करके थाने में आने को कहा ओर चार घंटे बिठाकर रखा। पुछताछ के नाम पर उनको कहा गया कि अपने मोबाइल लेकर आना ताकि पता लगाया जा सके । कि तुमने वीडियो कहा कहा और किस – किस को भेजी है और ये भी पता किया जायेगा कि तुम किस पत्रकार के सम्पर्क में हो। यदि राज्य की ACB से इस पुरे मामले कि जाँच करवाई जाये तो एक बड़ा खुलासा होगा और साथ ही ये भी पता लगाया जाये कि पुलिस कर्मचारी किसके दबाव में काम कर रहे है। एक तरफ़ तो पुलिस महानिदेशक कहते हैं कि बेईमानों के बारे में सुचना दे अगर कोई सुचना देता है तो पुलिसवाले उन्हें ही परेशान करते हैं। यूनिवर्सिटी के बारे में एक सच ये भी है कि इस यूनिवर्सिटी में नौकरी करने वाले ज्यादातर पदाधिकारियों के काग़ज़ात व अनुभव प्रमाणपत्रों की जाँच की जाये तो नब्बे प्रतिशत फ़र्ज़ी है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर दिनेश ने उनका पक्ष जानने के लिए भेजे टेक्स्ट मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया v