Happy Birthday: 64साल की हुई साध्वी उमा भारती, राम मंदिर आंदोलन में दिया है महत्वपुर्ण योगदान
राजनीति में एक तेज-तर्रार महिला नेता के रूप में जानी जाती हैं उमा
नई दिल्ली। उमा भारती राजनीति में एक तेज-तर्रार महिला नेता के रूप में जानी जाती हैं। एक साध्वी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी उमा का ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया सेसाथ काफी अच्छे सम्बन्ध रहे है। राजनीतिज्ञ और हिन्दू धर्म की प्रचारक होने के अलावा उमा भारती एक समाज सेविका भी हैं।
जीवन परिचय
उमा भारती का जन्म 3 मई, 1959 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले में हुआ था। उमा भारती के पिता का नाम स्वर्गीय गुलाब सिंह था। स्वामी प्रसाद लोधी और कन्हैया लोधी उनके भाई है।
शिक्षा
उमा भारती ने छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की इसके अलावा उमा भारती धार्मिक विषयों में बहुत अधिक रुचि रखती हैं।
लेखिका
उमा भारती हिन्दू धर्म और उससे जुड़ी अच्छी जानकारी होने के कारण ही अपने विचारों को किताबों में लिखती है। उनकी लिखी हुई अब तक तीन किताबें बाज़ार में आ चुकी हैं। इन किताबों में से एक भारत के बाहर भी प्रकाशित हो चुकी है। उनकी किताबों के नाम है- स्वामी विवेकानंद, पीस ऑफ़ माइंड, अफ़्रीका- मानव एक भक्ति का नाता
करियर
उमा ने अपने करियर की शुरुआत ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया के देख-रेख में शुरू की थी। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें एक बड़े नेता के रूप में पेश किया। उमा भारती ने 1984 में अपना पहला संसदीय चुनाव खजुराहो से लड़ा और हार गई लेकिन 1989 में उन्होने खजुराहो सीट से जीत हासिल की। उमा भारती 1991, 1996 और 1998 के चुनावों में भी खजुराहो की संसदीय सीट पर लगातार विजय प्राप्त करती रहीं। इसके बाद उन्होंने 1999 का चुनाव भोपाल से लड़ा था। उमा भारती 8 दिसंबर, 2003 मध्य प्रदेश की 22वीं मुख्यमंत्री बनी ।
योगदान
‘राम जन्म भूमि’ को बचाने के प्रयत्न में उमा भारती ने कई प्रभावकारी कदम उठाए। उन्होंने पार्टी से निकालने के बाद भोपाल से लेकर अयोध्या तक की कठिन पदयात्रा भी की थी। रामसेतु को बचाने के लिए जुलाई, 2007 में उमा भारती ने ‘सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट‘ के विरोध में 5 दिन की भूख हड़ताल भी की।