गुस्ताखी माफ हरियाणा-पवन कुमार बंसल
शत्रुजीत कपूर, डीजीपी हरियाणा के ध्यानार्थ lक्या वह अपनी ही बिरादरी के खिलाफ उसी तेजी से कारवाई करेंगे जैसे उन्होंने आई ए एस अफसर के खिलाफ की थी ? वाहनों के चालान से एकत्रित तीन करोड़ रुपये की भारी रकम हड़पने का मामला। भाग एक। एनसीआर में एक जिले में जिला पुलिस प्रमुख और दो डीएसपी की भूमिका संदेह के घेरे में हैं। आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा समयबद्ध जांच समय की मांग है। आईएएस हलकों में लाखों डॉलर का सवाल पूछा जा रहा है कि एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ के रूप में शत्रुजीत कपूर ने उनके साथियों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की लेकिन जब बात अपनी ही बिरादरी की आती है तो क्या पुलिस चीफ के नाते वे अपने कई सहयोगियों के खिलाफ उसी तेजी से कारवाई करेंगे?हमारी जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इसमें एक पॉटबॉयलर मुंबई थ्रिलर के सभी तत्व हैं, जिसमें जूनियर द्वारा भ्रष्टाचार और वरिष्ठों द्वारा संरक्षण और व्हिसिल ब्लोअर की सकारात्मक भूमिका भी है। .दो वर्षों के दौरान पुलिस द्वारा यातायात उल्लंघन के लिए जुर्माने के रूप में लगभग करोड़ों रुपये वसूले गए। चालान शाखा के संबंधित प्रभारी को यह पैसा भारतीय स्टेट बैंक में जमा करना था, लेकिन उन्होंने इसे अपनी जेब में रख लिया। इसी बीच किसी मुखबिर ने इसकी सूचना तत्कालीन डी जी पी को दे दी।
घोटाले के बारे में तत्कालीन डीजीपी ने इसे दक्षिण रेंज के पुलिस महानिरीक्षक,रेवाड़ी को निर्देशित किया, जिन्होंने इसे संबंधित जिले के एसपी को भेजा। आईजी साउथ रेंज ने अपने पत्र संदर्भ संख्या 8365 -68 दिनांक 23 / 7/21′ को लिखा “यह संज्ञान में आया है कि जिले के पुलिस थाने और पुलिस चौकी की विभिन्न चालान शाखाओं से प्राप्त चालान की राशि कई महीनों तक डीलिंग हैंड और चालान करने वाले कर्मचारियों द्वारा सरकारी खाते में जमा नहीं की जाती है। कर्मचारी उक्त धन का उपयोग अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए कर रहे हैं, जिससे सरकार को भारी वित्तीय हानि हो रही है।” यहीं से शुरू हुआ लीपापोती का खेल। इस तथ्य के बावजूद कि मामला डीजीपी की जानकारी में है। मामले की जांच एक लचीले स्वभाव के डीएसपी को सौंपी गई, जिन्होंने अपनी गोल मोल रिपोर्ट में आरोपियों को क्लीन चिट दे दी lउन्होंने रिपोर्ट दी कि क्रोना और किसान आंदोलन में ड्यूटी के कारण संबंधित पुलिस हेड कांस्टेबल जनक राज ने सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाते हुए देर से पैसा बैंक में जमा कराया है। जिले के डीएसपी मुख्यालय की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बजाय जिले के एसपी ने लिखा, “पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करें और जांच एक अन्य डीएसपी को सौंपी गई है। एसपी ने अपने आदेश दिनांक 3/9/2021 के जरिए कहा, “हेड कांस्टेबल जनक के खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की गई है।कर्तव्य में घोर लापरवाही, असावधानी, लापरवाही दिखाने और कई महीनों तक सरकारी खाते में चालान की राशि जमा नहीं करने और उक्त धनराशि का उपयोग वे अपने व्यक्तिगत उपयोग करने के आरोप में जिससे सरकार को भारी वित्तीय हानि हो रही है। डीएसपी दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही करके नियमित विभागीय जांच करेंगे और जल्द से जल्द अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करेंगे। “बॉस की शारीरिक भाषा को भांपते हुए डीएसपी ने भी लीपापोती रिपोर्ट दे दी कि पैसा देर से जमा किया गया था। और एसपी ने केवल यह सजा दी। वहां वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी गई है। डुमछला lयह अभी भी रहस्य है कि पैसा कहां है? जारी रहेगा।