रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं म्यूज़ियम में पवित्र कुरान और खत्ताती के नमूनों की भव्य प्रदर्शनी
रामपुर में पवित्र रमजान के अवसर पर विशेष प्रदर्शनी का आयोजन
रामपुर: पवित्र रमजान माह के मुबारक मौके पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं म्यूज़ियम के दरबार हॉल में “पवित्र कुरान तथा खत्ताती के नमूनों” की एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं म्यूज़ियम की भव्य धरोहर और धार्मिक महत्व को उजागर करते हुए, प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए गए कुरान के अद्भुत और दुर्लभ संस्करणों को देखने के लिए शहरवासियों का उत्साह देखने को मिला। प्रदर्शनी का उद्घाटन डॉ. महमूद अली खान, अध्यक्ष सौलत पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा किया गया। इस दौरान बरेली स्थित ईशा रहमान राजश्री गेडिकल रिसर्च इंस्ट्रीट्यूट द्वारा तैयार किए गए खत्ताती के नमूने भी प्रदर्शित किए गए।
कुरान की विविध प्रतियाँ और उनका धार्मिक महत्व
प्रदर्शनी के उद्घाटन पर डॉ. महमूद अली खान ने कहा कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय में कुरान की कई प्रकार की दुर्लभ प्रतियाँ मौजूद हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से पवित्र रमजान के महीने में प्रदर्शित की जाती हैं। रमजान का महीना खुदा की रहमत और बरकत का महीना है, और इस समय कुरान पाक की प्रतियों को देखना, पढ़ना और समझना हमारे लिए एक पुण्य कार्य है। उन्होंने बताया कि कुरान के माध्यम से हमें सच्चाई, मार्गदर्शन और जीवन के उद्देश्य की सही दिशा मिलती है। रज़ा पुस्तकालय में रखी गई कुरान की प्रतियाँ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि कला और संस्कृति के लिहाज से भी अनमोल धरोहर हैं।
प्रदर्शनी में शामिल कुरान के दुर्लभ संस्करण और खत्ताती नमूने
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रही शाबाना अफसर ने प्रदर्शनी में शामिल कुरान के विभिन्न संस्करणों और खत्ताती नमूनों की विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में कूफी लिपि में 7वीं सदी ई. में हज़रत अली द्वारा लिखा गया दुर्लभ कुरान मजीद विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया है। इस कुरान के पन्नों में कूफी लिपि का सुंदर प्रयोग किया गया है, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। इसके अलावा, अल्फी कुरान का भी प्रदर्शन किया गया है, जिसमें हर पंक्ति की शुरुआत अलिफ (अ) से होती है, जो कुरान की अद्वितीयता को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त वावी कुरान भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है, जिसमें हर पंक्ति की शुरुआत वाव (व) से होती है। इस कुरान में प्रत्येक पन्ने पर एक पूरा पारा लिखा गया है, जो इसकी विशेषता को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। इस प्रकार के कुरान के विभिन्न संस्करण न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि कलात्मक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक मूल्यवान हैं।
अम्मा पारा और तिलावत के तरीके पर विशेष ध्यान
प्रदर्शनी में कुरान शरीफ का आखिरी अम्मा पारा भी प्रदर्शित किया गया है, जिस पर तिलावत के तरीके को दर्शाया गया है। इस पारे की विशेषता यह है कि यह रमजान माह के आखिरी दिनों में अधिकतर पढ़ा जाता है, और इस पारे की तिलावत का तरीका विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यह पारा नवाब रज़ा अली खान की सालगिरह के मौके पर पेश किया गया था, और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इसके साथ ही, प्रदर्शनी में कुरान के अन्य महत्वपूर्ण अंशों को भी रखा गया है, जो रमजान के इस माह के विशेष दिनों में पढ़े जाते हैं।
हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित कुरान का प्रदर्शन
इस प्रदर्शनी में हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित कुरान के संस्करण भी प्रदर्शित किए गए हैं, ताकि विभिन्न भाषा बोलने वाले लोग इसे आसानी से समझ सकें। इसके अलावा, शैखसादी रहमत उल्ला अलेह द्वारा फारसी में किया गया शान-ए-नजूल का अनुवाद भी प्रदर्शनी में रखा गया है। यह अनुवाद कुरान के तिलावत के महत्व और उसकी व्याख्या को और भी स्पष्ट करता है, जिससे दर्शक इसे और अधिक गहराई से समझ सकते हैं।
शास्त्रों का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर
रामपुर रज़ा पुस्तकालय की प्रदर्शनी न केवल कुरान और खत्ताती के नमूनों के धार्मिक महत्व को उजागर करती है, बल्कि यह रामपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक परंपराओं को भी प्रदर्शित करती है। यहां रखे गए दस्तावेज़ और किताबें न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह पुस्तकालय भारतीय इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं को भी संजोए हुए है।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति और श्रद्धालु
प्रदर्शनी के उद्घाटन और संचालन के दौरान डॉ. अदनान खान, शाजिया रहमान, नजमुल रहमान, हुमा ज़फर, डॉ. नम्रा महमूद, जीशान मुराद, डॉ. अबुसाद इस्लाही, अरूण कुमार सक्सैना, सैयद तारिक अज़हर, इस्वाह खाँ और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। इन सभी ने इस प्रदर्शनी के आयोजन की सराहना की और इसे धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया।
इस प्रदर्शनी ने ना केवल धार्मिक श्रद्धा और ज्ञान को बढ़ावा दिया, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक अद्वितीय प्रयास था। रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं म्यूज़ियम में इस प्रकार के आयोजन शहरवासियों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करते हैं, जो उन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक शिक्षाओं से जोड़ते हैं। प्रदर्शनी के आयोजन से यह साबित होता है कि धार्मिकता और कला एक दूसरे के पूरक हैं, और इनके माध्यम से समाज को एकजुट किया जा सकता है।