सुख और दु:ख जीवन के अभिन्न अंग हैं। जीवन में सुख-दुःख का चक्र सदैव चलता रहता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बड़ी से बड़ी विपदा को भी हँसकर झेल जाते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो एक दुःख से ही इतने टूट जाते हैं कि पूरे जीवन उस दुःख से मुक्त नहीं हो पाते हैं। हमेशा अपने दुःखों को सीने से लगाये घूमते रहते हैं।
🌞 जीवन की वास्तविकता यह है, कि जो बीत गया सो बीत गया। अब उसमें तो कुछ नहीं किया जा सकता पर इतना जरूर है, कि उसे भुलाकर अपने भविष्य को एक नईं दिशा देने के बारे में तो सोचा ही जा सकता है।
🌞 जिस प्रकार जलती अग्नि में और लडकियां डालने से अग्नि स्वतः धधकने लगती है। ठीक उसी प्रकार दुःखों को बार – बार याद करने से दुःख रूपी ज्वाला भी जीवन को और जलाने लगती है। दु:ख होने पर भी उसको विस्मृत कर देना सुखी होने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है, बस ये कला हमें आ जाए तो जीवन प्रसन्नतापूर्वक जिया जा सकता है।