Shardiya Navratri का पहला दिन, यहां जानें मां शैलपुत्री की कैसे करें पूजा
यहां जानें मां का प्रिय भोग और मंत्र
नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं। शारदीय नवरात्र की पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे न करने पर पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए, हम आपको कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, मां शैलपुत्री के प्रिय भोग और पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 3 अक्टूबर को रात 12:18 बजे से होगी और यह तिथि 4 अक्टूबर को रात 2:58 बजे समाप्त होगी। हिंदू धर्म में सूर्योदय के अनुसार तिथि की गणना की जाती है, इसलिए नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से मानी जाएगी।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री नवदुर्गाओं में प्रथम हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल का पुष्प है। वह नंदी नामक बैल पर सवार होती हैं और हिमालय पर निवास करती हैं। उन्हें वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है।
पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करके मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर कलश स्थापना करें, जिसमें कलश के ऊपर कलावा बांधकर आम और अशोक के पत्ते रखें। सफेद फूल और वस्त्र मां को अर्पित करें और देसी घी के दीपक से आरती उतारें। पूजा के दौरान सभी नदियों और तीर्थों का आह्वान करें। नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन कपूर जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मकता का नाश होता है।
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां का प्रिय भोग
मां शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी से बने हलवे का भोग अर्पित करें। इससे आपको निरोगी काया का आशीर्वाद मिलेगा।