परंपरागत कार्य करने वाले पात्र कारीगर योजना से न रहें वंचित : डीएम

बदायूँ। जिलाधिकारी मनोज कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को स्थित कलेक्ट्रेट स्थित अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में भारत सरकार द्वारा संचालित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय की पीएम विश्वकर्म योजना के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पीएम विश्वकर्म योजना जागरूकता कार्यक्रम का जिलाधिकारी ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण कर शुभारंभ किया। पीएम विश्वकर्मा एक नई योजना है और इसमें पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उनके पारंपरिक उत्पादों और सेवाओं को बढ़ाने में शुरू से अंत तक समग्र सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। कारीगरों और शिल्पकारों को विश्वकर्मा के रूप में मान्यता देना और उन्हें योजना के तहत सभी लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र बनाना। उनके कौशल को निखारने के लिए कौशल उन्नयन प्रदान करना और उनके लिए प्रासंगिक और उपयुक्त प्रशिक्षण अवसर उपलब्ध कराना। उनकी क्षमता, उत्पादकता और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बेहतर और आधुनिक उपकरणों के लिए सहायता प्रदान करना। इच्छुक लाभार्थियों को संपार्श्विक मुक्त ऋण तक आसान पहुंच प्रदान करना और ब्याज छूट प्रदान करके ऋण की लागत को कम करना। इन विश्वकर्माओं के डिजिटल सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना। विकास के नए अवसरों तक पहुंचने में मदद करने के लिए एक मंच प्रदान करना।
डीएम ने कहा कि विश्वकर्म योजना अंतर्गत जनपद को प्राप्त लक्ष्य के सापेक्ष 10 गुना अधिक आवेदन होने पर संबंधितों को बधाई देते हुए प्रसन्नता व्यक्ति की। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी ग्रामीण प्रवेश में रहने वाले परंपरागत कार्य करने वाले पात्र कारीगरों को शतप्रतिशत योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। इस योजना में लोगों को कार्य मिले और उनके परिवार की आय में वृद्धि हो। विश्वकर्म योजना अंतर्गत 18 ट्रेडों में परंपरागत कार्य करने वाले लोगों आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान रखा जाए कि कोई भी ट्रेड छूटने न पाए। सभी ट्रेड में संबंधित कार्य करने वाले लोगों का आवेदन कराया जाए। ज्ञान कौशल के आधार पर संबंधित ट्रेडिंग में आवेदन कराए जाएं। उन्होंने सीएससी संचालकों को निर्देश दिए कि आवेदन करने वाले लोगों को किसी प्रकार की कोई समस्या न होने पाए। इस योजना अंतर्गत सभी का उद्देश्य होना चाहिए कि इसमें जुड़े हुए लोगों को हर संभव सहायता की जाए। उन्होंने कहा सभी लोग ईमानदारी व पारदर्शिता से कार्य कर अधिक से अधिक पात्रों को इस योजना से लाभान्वित करें। उन्होंने कहा कि जागरूकता कार्यक्रम में आए ग्राम प्रधान सीएससी संचालक अन्य सभी या संकल्प लेकर जाएं। इस योजना से अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित कराएंगे।
जनपद आगरा से आए एमएसएमई के सहायक निदेशक नेपाल सिंह ने योजना के क्रियान्वयन के सम्बंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सीएससी संचालकों को बताया कैसे आवेदन करेंगे एवं ग्राम प्रधानों व नगर निकायों से आए कार्मिकों को बताया किस प्रकार से आवेदनों का सत्यापन करेंगे। उन्होने पात्रता के संबंध में बताया कि स्वःरोज़गार के आधार पर असंगठित क्षेत्र में हाथ और औजारों से काम करने वाले और योजना में उल्लिखित 18 परिवार-आधारित पारंपरिक व्यवसायों में से एक में लगे एक कारीगर या शिल्पकार, पीएम विश्वकर्मा के तहत पंजीकरण के लिए पात्र होंगे। पंजीकरण की तिथि पर लाभार्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। लाभार्थी को पंजीकरण की तिथि पर संबंधित व्यापार में संलग्न होना चाहिए और स्वःरोजगार/व्यवसाय विकास के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार की समान क्रेडिट-आधारित योजनाओं, जैसे पीएमईजीपी, पीएम स्वनिधि, मुद्रा, के तहत ऋण नहीं लेना चाहिए। पिछले 5 वर्षों में। योजना के तहत पंजीकरण और लाभ परिवार के एक सदस्य तक ही सीमित रहेगा। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए, एक ’परिवार’ को पति, पत्नी और अविवाहित बच्चों के रूप में परिभाषित किया गया है। सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे।
योग्य ट्रेड लकड़ी आधारित बढ़ई नाव बनाने वाले, सोना,चांदी आधारित सुनार, वास्तुकला/निर्माण मेसन (राजमिस्त्री), लोह धातु आधारित अस्रकार लोहार हथौड़ा और टूल किट निर्माता मरम्मत करने वाले मूर्तिकार), पत्थर तोड़ने वाला पत्थर तराशन वाले, मिट्टी आधारित कुम्हार, चमड़े पर आधारित मोची चर्मकार/जूता कारीगर/ फुटवियर कारीगर अन्य टोकटी/चटाई/झाडू़ निर्माता/कयर बुनकर गुड़िया औट खिलौना (पारंपरिक) नाई/माला निर्माता/धोबी/दर्जी मछली पकड़ने का जाल निर्माता। इसमें कांस्य, पीतल, तांबा, डायस, बर्तन, मूर्तियाँ आदि का निर्माण भी शामिल है।
योजना का लाभ मान्यताः प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से विश्वकर्मा के रूप में पहचान। कौशल सत्यापन के बाद 5-7 दिन (40 घंटे) का बुनियादी प्रशिक्षण। इच्छुक उम्मीदवार 15 दिन (120 घंटे) के उन्नत प्रशिक्षण के लिए भी नामांकन कर सकते हैं। प्रशिक्षण वजीफाः 500 रुपये प्रति दिन। टूलकिट प्रोत्साहनः 15,000 रुपये अनुदान। क्रेडिट सहायता संपार्श्विक मुक्त उद्यम विकास ऋणः एक लाख रुपये (18 महीने के पुनर्भुगतान के लिए पहली किश्त) और 02 लाख रुपये (30 महीने के पुनर्भुगतान के लिए दूसरी किश्त) ब्याज की रियायती दर लाभार्थी से 5 प्रतिशत लिया जाएगा और 8 प्रतिशत की ब्याज छूट सीमा एमएसएसई द्वारा भुगतान की जाएगी। क्रेडिट गारंटी शुल्क भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन अधिकतम 100 लेनदेन (मासिक) के लिए प्रति लेनदेन एक रूपये। विपणन सहायता राष्ट्रीय विपणन समिति गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग और प्रचार जैसी सेवाएं प्रदान करेगी। ई-कॉमर्स लिंकेज, व्यापार मेले विज्ञापन, प्रचार और अन्य विपणन गतिविधियाँ मिलेंगी।

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