जयपुर: सूबे की डबल इंजन सरकार ने गरीबों का राशन छीनने की योजना लागू कर दी है। भजनलाल सरकार ने गरीबों के खिलाफ एक नया कदम उठाते हुए जिला रसद विभाग को सक्रिय कर दिया है। अब एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) के तहत एक लाख वार्षिक आय वाले परिवारों को अपात्र मानते हुए उन्हें राशन से वंचित कर दिया गया है, जिससे व्यापक स्तर पर मजदूर वर्ग को दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो रही।
इस मुद्दे पर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली की चुप्पी भी चौंकाने वाली है, जो गरीबों की समस्याओं के प्रति अपनी संवेदनहीनता दिखा रहे हैं। रसद विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि इस नियम के कारण वे लोग भी राशन से वंचित हो जाएंगे, जो वाकई में सरकारी राशन के हकदार हैं।
वर्ष 2012-13 में एनएफएसए योजना की शुरुआत हुई थी और उस समय एक लाख रुपए वार्षिक आय को गरीब परिवार के लिए उपयुक्त माना गया था, लेकिन अब 11 साल बाद इस आंकलन का कोई मतलब नहीं रह गया है। आजकल के हिसाब से, एक ई-रिक्शा चालक या सब्जी बेचने वाले की दैनिक आय कम से कम 500 रुपए होती है, जो साल भर में एक लाख 80 हजार रुपए हो जाती है। ऐसे में एक लाख रुपए की वार्षिक आय को गरीबों के लिए उपयुक्त मानना पूरी तरह से गलत है। वर्तमान में पैसे की कीमतों को देखते हुए इसे दो लाख रुपए तक बढ़ाना जरूरी है, ताकि वास्तविक जरूरतमंदों को राशन मिल सके।
कार्यवाहक जिला रसद अधिकारी रणधीर ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि वर्तमान के हिसाब से एक लाख रुपए की वार्षिक आय की गणना से निश्चित रूप से कुछ जरूरतमंद परिवार राशन से वंचित हो जाएंगे।