कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में तोड़फोड़ और सबूतों से छेड़छाड़ पर डॉक्टरों में उबाल, FORDA ने फिर की हड़ताल की घोषणा

कोलकाता, 15 अगस्त 2024: आरजीकर मेडिकल कॉलेज के ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या के बाद से डॉक्टरों का गुस्सा अभी थमा भी नहीं था कि इसी बीच अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटना ने स्थिति को और भड़का दिया है। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर रहा है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें कुछ अज्ञात लोगों को अस्पताल में तोड़फोड़ करते देखा जा सकता है। हालांकि इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन FORDA (फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने फिर से हड़ताल करने का फैसला किया है। इससे पहले भी ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के बाद FORDA ने हड़ताल बुलाई थी।

सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप

केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने 14 अगस्त की आधी रात को आरजीकर मेडिकल कॉलेज पर भीड़ के हमले और तोड़फोड़ के बाद राज्य पुलिस और तृणमूल कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। मजूमदार ने आरोप लगाया कि पुलिस के चुपचाप खड़े रहने पर भीड़ ने अस्पताल के अंदर डॉक्टरों की पिटाई की। उन्होंने कहा कि लगभग 2000-2500 लोगों की भीड़ ने परिसर में प्रवेश कर डॉक्टरों पर हमला किया। आरजीकर मेडिकल कॉलेज की नर्सों ने भी आरोप लगाया कि भीड़ ने कॉलेज के सेमिनार हॉल से सबूत नष्ट करने का प्रयास किया, जहां 9 अगस्त को एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। दूसरी ओर, पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है।

‘पश्चिम बंगाल में कोई कानून-व्यवस्था नहीं’

आधी रात के इस हमले के बाद FORDA ने घोषणा की है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे अपनी हड़ताल फिर से जारी रखेंगे। संगठन ने पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले ली थी, जिसमें उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया गया था। सुकांत मजूमदार ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल में कोई कानून-व्यवस्था नहीं है। 2000-2500 गुंडे देर रात मेडिकल कॉलेज में घुस आए। डॉक्टरों को पीटा गया और धमकाया गया, जबकि पुलिस चुप रही। अगर राज्य सरकार अपनी राजधानी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असमर्थ है, तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। सबूत नष्ट करने की कोशिश की गई। मैं कल आरजीकर मेडिकल कॉलेज पहुंचूंगा और विरोध करूंगा।”

यह घटनाक्रम राज्य में चिकित्सा व्यवस्था और कानून-व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है, और इस पर राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा हो रही है।

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