रामपुर। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार मॉदड की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में उपजिलाधिकारी एवं जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ आईजीआरएस, गड्ढा मुक्ति, विद्युत, स्वास्थ्य, विरासत आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं पर समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिला स्तरीय कार्यालयों, तहसीलों, ब्लाकों आदि कार्यालयों में आने वाले आवेदन पत्रों का कार्यालय अध्यक्ष स्वयं निस्तारण करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपने अधीन कार्य करने वाले कर्मचारियों के सहारे न रहें। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यालयों में प्राइवेट व्यक्तियों से किसी भी प्रकार का कोई भी कार्य न कराया जाए तथा संज्ञान में आने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी तथा कार्यालयों के आस-पास दलालों एवं बिचौलियों की संलिप्तता न पाई जाए। यदि कहीं ऐसा मामला संज्ञान में आता है तो बिचौलियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करायी जाए। जिलाधिकारी ने शहरी क्षेत्रों में मुख्य चिकित्साधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट एवं तहसील व ग्रामीण क्षेत्रों में उपजिलाधिकारी एवं खण्ड विकास अधिकारियों को जिम्मेदारी देते हुए कहा कि जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के आस-पास अवैध एम्बुलेंस पाए जाने पर ऐसे अवैध एम्बुलेंस संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाए साथ ही प्रतिदिन अस्पतालों के आस-पास औचक निरीक्षण किया जाए।
उन्होंने कहा कि आईजीआरएस एवं सम्पूर्ण समाधान दिवस में आने वाली शिकायतों का उसी दिन ही समाधान कर शिकायतकर्ता को भी फोन से अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि कार्यालय स्तर पर पत्रावलियों को अनावश्यक रूप से लम्बित न रखा जाए। उन्होंने राजस्व वादों की समीक्षा के दौरान सभी उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि 3 माह से अधिक लम्बित राजस्व वादों का शीघ्र ही निस्तारण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नन्द किशोर कलाल, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव जै जैन, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व हेम सिंह, अपर जिलाधिकारी प्रशासन लालता प्रसाद शाक्य सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।