लखनऊ: उत्तर प्रदेश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रदेश के 17 डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पाया गया है, जिनके खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस की मनाही
सरकार ने सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने से सख्ती से मना किया है। इसके बावजूद कुछ डॉक्टर नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस (एनपीए) लेने के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त पाए गए हैं। डिप्टी सीएम ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए।
17 डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्तता
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि बलरामपुर जिले के 10, हाथरस के 6 और कुशीनगर के 1 डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्त पाए गए हैं। इन डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
इन डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई
इस मामले में जिन डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाएगी, उनमें बलरामपुर के मोमोरियल जिला अस्पताल के डॉ. हीरा लाल, डॉ. रमेश कुमार पांडेय, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार सिंह, डॉ. पंकज वर्मा, डॉ. उमेश कुशवाहा, जनपथ बलरामपुर के डॉ. नितिन चौधरी, एमआईके जिला महिला चिकित्सालय के डॉ. पीके मिश्रा, डॉ. महेश कुमार वर्मा, डॉ. नगमा खान, बलरामपुर के कौव्वापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. जय सिंह गौतम, हाथरस के डॉ. रिचा कालरा, डॉ. सुनील कुमार वर्मा, डॉ. मीनाक्षी मोहन, डॉ. बृज नारायण अवस्थी, डॉ. मृदुल जाजू, डॉ. दानवीर सिंह और कुशीनगर के डॉ. एसएन त्रिपाठी शामिल हैं।
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