मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को सरकारी घोषित कराने की मांग
जौहर यूनिवर्सिटी को बचाने के लिए उलेमाओं ने भी उठाई आवाज़
रामपुर। मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को सरकारी घोषित कराने को मांग को लेकर शहर के सूफ़ी उलेमाओ ने आवाज़ उठाना शुरु कर दी है। दरगाह खुर्मा शरीफ के सज्जादा नशीं और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सूफ़ी संवाद महाभियान से जुड़े सैयद हाफ़िज़ फहद मियां निज़ामी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल मे मुरादाबाद कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह से मुलाक़त कर यूनिवर्सिटी को सरकारी घोषित कराने की माँग की ।इस मौक़े पर भाजपा नेता फसहत अली खां शानू भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी फैसल मुमताज़, इरशाद महमूद, मो. फारूक़ खान एड. सैयद मुबाशशिर मियाँ, मौलाना मुजम्मिल हुसैन, आदित्य गुप्ता आदि मौजूद रहे। सैयद हाफ़िज़ फहद मियां निज़ामी ने कहा की युवाओं और यूनिवर्सिटी मे पढ़ने वाले बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर रामपुर की आवाम चिंतित है। जैसे के लगातर खबरें मिल रही है की जौहर यूनिवर्सिटी बनाने मे बड़े पैमाने पर सरकारी धन खर्च किया गया है।
इस लिए हम सरकार से मांग करते हैं की जौहर यूनिवर्सिटी को सरकारी घोषित किया जाए। कहा कि हम और रामपुर की जनता चाहती है कि जौहर विश्वविद्यालय को बंद न किया जाए और न ही यह खत्म किया जाए इसके बजाए इसे सरकारी घोषित कर दिया जाए। किसी एक व्यक्ति की गलतियों और अनियमितताओं की सजा वहां पढ़ने वाले छात्रों को न दी जाए क्योंकि वो देश का भविष्य हैं इसलिए सरकार यूनिवर्सिटी को अपने अंडर में ले और उसे अपने माध्यम से चलाए क्योंकि वैसे भी 80 फीसदी से ज़्यादा जौहर यूनिवर्सिटी की इमारतों और अन्य निर्माण में सरकार का ही पैसा लगा है जो सब के सामने आ चुका है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों आजम खान के घर और जौहर यूनिवर्सिटी पर आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान टीम को जो कागजात बरामद हुए, इसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि यूनिवर्सिटी के निर्माण में 6 विभागों ने अपने बजट का लगभग 106 करोड़ रुपए खर्च किये. इसमें सी एंड डीएस ने 35 करोड़ 90 लाख रुपए, पीडब्ल्यूडी ने 17 करोड़ 16 लाख रुपए, जल निगम ने 53 करोड़ 56 लाख रुपए जारी किए थे. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण और संस्कृति विभाग ने भी निर्माण के लिए रकम दी थी।