दिल्ली की हवा…यानी मौत की सांस
जल और वायु जीवन के स्रोत हैं, लेकिन दिल्ली-एनसीआर की हवा और यमुना का जल आज जानलेवा साबित हो रहे हैं। धीरे-धीरे यह क्षेत्र एक गैस चैंबर बनता जा रहा है, जहां सांस लेना ही मौत का कारण बनता जा रहा है।
दिल्ली में दिवाली की तैयारियों के साथ ही प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल दिवाली पर आतिशबाजी के कारण एक्यूआई 400 से अधिक हो सकता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे में सीएक्यूएम को दिवाली से पहले GRAP के स्टेज-3 और स्टेज-4 के तहत पटाखों पर सख्त प्रतिबंध लागू करना चाहिए। साथ ही, कचरे और बायोमास जलाने पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
यमुना नदी का जहरीला जल: कैंसर का खतरा
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यमुना नदी का प्रदूषित पानी न केवल मानव जीवन बल्कि जीव-जंतुओं के लिए भी खतरा बन गया है। एम्स के विशेषज्ञों के अनुसार, यमुना का पानी लंबे समय में कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। शोध में पाया गया कि यमुना और हिंडन नदी का पानी औद्योगिक कचरे, कीटनाशकों और सीवरेज से प्रदूषित हो रहा है, जिससे पानी में कैंसरजनक तत्व बढ़ रहे हैं।
पक्षियों पर भी प्रदूषण का असर
ETV भारत के अनुसार, यमुना के दूषित पानी के कारण पक्षियों में संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। चांदनी चौक स्थित पक्षियों के धर्मार्थ चिकित्सालय के डॉ. हरअवतार सिंह के अनुसार, पिछले 15 दिनों में लगभग 70 से अधिक पक्षी प्रदूषण के कारण बीमार पाए गए।
हवा में जहर: दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण
दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त हिदायत दी है कि स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषित हवा में मौजूद बारीक कण PM2.5, खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक गुलेरिया का कहना है कि प्रदूषण से होने वाली मौतें कोविड-19 से भी अधिक हैं, लेकिन इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
भारत के सबसे प्रदूषित शहर
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोलकाता और पुणे जैसे शहर जहरीली हवा वाले शीर्ष शहरों में शामिल हैं। WHO के मानकों से भारत के प्रदूषण स्तर काफी अधिक हैं। हाल ही में UNICEF की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 में भारत में 5 साल से कम उम्र के 1,69,400 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई।
सरकारों के साथ-साथ आम जनता को भी प्रदूषण से बचाव के लिए उचित कदम उठाने होंगे ताकि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की समस्या का समाधान हो सके।