- लेखक- सौरभ श्रीवास्तव
नमस्कार साथियों जैसा कि आप सभी जानते हैं दिल्ली चुनाव सम्पन्न हो गए हैं और नतीजे भी आ गए हैं। इस बार नतीजे जैसा एग्जिट पोल में सभी चैनलों के द्वारा दिखाया गया था उसके ही स्वरूप नतीजे भी आए हैं। इस चुनाव की सबसे बड़ी बात ये रही जितने भी मंत्री थे आम आदमी पार्टी के कुछ को छोड़कर अधिकतर मंत्री हार गए हैं। जिसमें सबसे बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों अपनी सीट पर हार गए। इसके पीछे कई कारण रहे हैं पहले हम दिल्ली की 70 सीट का विश्लेषण करते हैं 70 में से भाजपा को 48 सीट और आप को 22 सीट मिली हैं कांग्रेस इस बार भी शून्य पर लेकिन कांग्रेस का वोट शेयर इस बार 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है।
भाजपा 27 वर्षों के बाद सरकार बनाने में सफल रही है। भाजपा ने इस बार अपने चुनाव को अच्छी तरह से मैनेज किया भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले देश के गृह मंत्री भाई अमित शाह जी की रणनीति सफल रही भाजपा के कार्यकर्ताओं ने इस बार सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मेहनत किया। महिलाओं को प्रतिमाह दिए 2500 रूपये दिए जाने वाले वादे इसका उनको लाभ मिला और वह सत्ता में वापसी करने में सफल रही शुद्ध पीने का पानी यमुना सफाई का मुद्दा और आप की शराब नीति इस चुनाव में प्रमुख मुद्दे रहे जिसको लेकर दोनों ही पार्टियां भाजपा और कांग्रेस इसको भुनाने में सफल रही।
हम अगर किस पार्टी को कितना वोट प्रतिशत मिला उसकी बात करें तो आम आदमी पार्टी को 43.57 प्रतिशत वोट मिले जो 2020 के मुकाबले 54.57 प्रतिशत था उससे बहुत कम मिला है वहीं भाजपा की बात करें तो 45.56 प्रतिशत वोट मिला जो 2020 में 38.51 था और वही कांग्रेस 4.34 प्रतिशत से 6 .23 का इजाफा हुआ है। इस जीत के पीछे भाजपा की चुनावी रणनीति भी रही जहां झुग्गी झोपड़ी और पूर्वांचल के मुद्दों पर चुनाव में कैंपेनिंग की हम है पूर्वांचली बीजेपी के साथ यह हिट रहा और 10 साल के एंटी एंकमबेंसी भी रही अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनता है??
प्रवेश वर्मा की नई दिल्ली सीट जीत का कारण।
प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को 3000 से ज्यादा वोटों से मात दे दी है इसके पीछे का कारण था जब से प्रवेश वर्मा की घोषणा हुई थी तब से वो लगातार केजरीवाल पर हमलावर थे चाहे वो शराब नीति को लेकर हो या फिर शीश महल को लेकर हो या उनके द्वारा विकास कार्यों को लेकर हो लोगो के बीच में उनको ये मुद्दे भी समझ आ गया इसलिए ये परिमाण उनके पक्ष में गया।
योगी जी का हिंदुत्व कार्ड रहा सफल।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने हिंदुवादी विचारधारा के लिए लोकप्रिय हैं जैसे उनका जादू हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली में भी बढ़ चढ़कर बोल रहा है उन्होंने 7 विधानसभा में रैली की जिसमें से किराड़ी विधानसभा को छोड़कर बाकी 6 विधानसभा में जीत दर्ज की उनका जो नारा था बटोगे तो कटोगे वो दिल्ली में एक बड़ी हिंदू आबादी को समझाने में कामयाब रहा उसी का परिणाम है कि दिल्ली में भाजपा 27 वर्षों के बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने में सफल रही है।
आम आदमी पार्टी के हार के कारण।
आम आदमी पार्टी लगातार अपने शिक्षा नीति लेकर और बिजली पानी फ्री के मुद्दे पर जनता के बीच लगातार जाती रही।
1. केजरीवाल जी का जेल से सरकार चलना
झारखंड में हेमंत सोरेन की तरह अरविंद केजरीवाल जी को सहानभूति नहीं मिली इसके पीछे एक कारण ये भी है अगर देखे हेमंत सोरेन के ऊपर जब भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हुए थे तब वो जेल जाने से पहले अपना इस्तीफा सौंप कर गए ऐसा केजरीवाल जी ने नहीं किया और उन्होंने जेल से सरकार चलाने का निर्णय किया जो दिल्ली की जनता को अच्छा नहीं लगा।
2. झूठे आरोपों लगाना पड़ा महंगा
आम आदमी पार्टी दिल्ली में हार का कारण यह भी है कि इन्होंने आरोप जो लगाए उसको ये साबित नहीं कर इनको मानहानि का सामना करना पड़ा और दिवंगत नेता अरुण जेटली जी माफी भी मांगी पड़ी चुनावी के दौरान यमुना का पानी साफ नहीं आने का कारण हरियाणा राज्य पर पानी में मिलावट करने का आरोप लगाया उसके बाद से वहां से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उस पानी को पीकर दिखाया था और पिछले 10 वर्षों से दिल्ली में काम न होने का आरोप उपराज्यपाल और केंद्र सरकार लगाते आ रहे थे इसका भी लोगो पर इनका नकारात्मक असर पड़ा और हार की बड़ी वजह बनी।
3. शीश महल।
जब पहली बार आप सत्ता में आई थी तब केजरीवाल जी ने बच्चों की कसम खाई थी कोई बंगला कोई गाड़ी नहीं लेंगे लेकिन जैसे जैसे दिन बढ़ते चले गए उन्होंने सब सुख सुविधा भी लिया और मुख्यमंत्री का बंगला जो कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 40 करोड़ से भी ज्यादा लगात में बनाई है। इससे लोगों के बीच जो उनकी आम आदमी वाली छवि थी जिसके चलते जीत कर आए दिल्ली की सत्ता में काबिज हुए थे उस छवि को धक्का लगा लोगो के बीच वो अपनी पार्टी तो हार ही गई वो अपनी खुद की सीट भी नहीं बचा पाए।
4. कांग्रेस से गठबंधन न करना आप को भारी।
जैसा कि सब जानते हैं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन से जुड़े हुए हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में तो इनका आपस में गढ़तबंधन रहा था लेकिन विधानसभा चुनाव में इन्होंने अलग अलग लड़ने का निर्णय किया था जिसका लाभ भाजपा को सीधे तौर मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब हो गई अगर ये साथ लड़ते तो शायद ये भाजपा इस बार भी नहीं जीत पाती दिल्ली की 14 से 16 ऐसी सीट थी जिस पर कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी को जीत से वंचित कर दिया। इसके पीछे का कारण जो राजनैतिक जानकार है वो हरियाणा में कांग्रेस ने गठबंधन करने की बात पर आप ने मन करते हुए अकेले लड़ने फैसला किया उसमें भी वोटो का विभाजन हुआ और दिल्ली की तरह हरियाणा कांग्रेस हार गई। कांग्रेस पार्टी अपनी हरियाणा की हार का बदला मान रही है।
5.दिल्ली में 2100 रुपए महिलाओं का देने का वादा
झारखंड में जीत का सबसे बड़ा कारण महिलाओं के लिए की गई आर्थिक सहायता है लेकिन यहां केजरीवाल जी ने वादा तो कर दिया देने का लेकिन चुनाव जीतने के बाद देने का ऐलान किया था हालांकि ये सरकार में रहते ये योजना लागू कर देते तो इसका परिणाम कुछ भी हो सकता था।