Death Anniversary:बेहद दर्दनाक है 1857 की क्रांति के महानायक की कहानी, आज के ही दिन मंगल पांडे को डरे अंग्रेजों ने दे दी फांसी

तय तारीख 18 अप्रैल से 10 दिन पहले ही पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मंगल पांडे को दी गई थी फांसी

नई दिल्ली। आज 8 अप्रैल को मां भारती के अमर शहीद मंगल पांडे की पुण्यतिथि है। अमर शहीद मंगल पांडेय ने ही सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ देश की आजादी का बिगुल बजाया था। 1857 की क्रांति के नायक से अंग्रेज इतने डर गए थे कि फांसी के लिए तय तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी के फंदे से लटका दिया था। भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के प्रणेता एवं महानायक, धर्म एवं मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ अर्पण करने वाले महान क्रांतिवीर मंगल पांडे को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि

जीवन परिचय
मंगल पांडे का जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके पिता दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था। कुछ इतिहासकार मंगल पांडेय का जन्‍म स्‍थान फैजाबाद के गांव सुरहुरपुर को बताते हैं।

देश सेवा
1849 में 22 साल की उम्र में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए थे। 1850 के दशक में सिपाहियों के लिए नई इनफील्ड राइफल लाई गई थी जिसकी कारतूसों को मुंह से काटकर राइफल में लोड करना होता था। इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी मिली होती थी। 29 मार्च 1957 को मंगल पांडेय ने न केवल कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया बल्कि साथी सिपाहियों को ‘मारो फिरंगी को’ नारा देते हुए विद्रोह के लिए प्रेरित किया। उसी दिन मंगल पांडे ने दो अंग्रेज अफसरों पर हमला कर दिया। बाद में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया और उन्होंने अंग्रेज अफसरों के खिलाफ विद्रोह की बात स्वीकार की।

सम्मान
भारत सरकार ने 5 अक्टूबर 1984 में मंगल पांडे के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया। शहीद मंगल पांडेय महाउद्यान नामक एक पार्क बैरकपुर में बनाया गया है जहां उन्हें फांसी दी गई थी।

निधन
8 अप्रैल 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में फांसी दी गई थी।

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