चमोली हिमस्खलन:: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है, क्योंकि रविवार को आपदा स्थल से 4 और शव बरामद किए गए। अधिकारियों ने बताया कि रविवार शाम 5:45 बजे अंतिम लापता श्रमिक का शव बरामद होने के बाद खोज और बचाव अभियान को समाप्त कर दिया गया।
प्रभावित श्रमिकों की संख्या में संशोधन
हिमस्खलन से प्रभावित श्रमिकों की कुल संख्या को 55 से घटाकर 54 कर दिया गया है। कारण यह था कि एक श्रमिक, सुनील कुमार, हिमस्खलन से पहले साइट छोड़ चुका था। मृतकों में से चार उत्तर प्रदेश, दो हिमाचल प्रदेश और दो उत्तराखंड से थे। अधिकारियों के अनुसार, सात शव उनके संबंधित स्थानों पर भेज दिए गए हैं।
46 श्रमिकों का सफल बचाव
200 से अधिक कर्मियों की एक टीम, जिसमें भारतीय सेना, आईटीबीपी, सीमा सड़क संगठन (BRO), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), जिला प्रशासन और अन्य राज्य एजेंसियां शामिल थीं, ने 46 श्रमिकों को बचाया। इनमें से 44 श्रमिकों को जोशीमठ स्थित सेना अस्पताल में इलाज मिल रहा है, जबकि दो को ऋषिकेश स्थित AIIMS एयरलिफ्ट किया गया।
हिमस्खलन का असर माणा और माणा पास के बीच BRO कैंप पर
यह हिमस्खलन शुक्रवार सुबह 5:30 से 6:00 बजे के बीच माणा और माणा पास के बीच स्थित सीमा सड़क संगठन (BRO) के कैंप को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसमें 54 श्रमिक आठ कंटेनरों और एक शेड में फंस गए थे। शुक्रवार रात तक 33 श्रमिकों को बचाया गया, लेकिन बारिश और हिमपात के कारण बचाव अभियान अस्थायी रूप से रुक गया था। शनिवार को मौसम साफ होने पर बचाव कार्य फिर से शुरू किया गया, और 17 और श्रमिकों को बाहर निकाला गया, हालांकि उनमें से चार को मृत घोषित कर दिया गया।
पेशेवर प्रयासों से सफल बचाव अभियान
लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव, रक्षा प्रवक्ता, देहरादून ने बताया, “बचाव दल ने चार लापता व्यक्तियों के शव बरामद किए, जिससे मृतकों की संख्या आठ हो गई। अंतिम श्रमिक का शव बरामद होने के बाद माणा हिमस्खलन के लिए खोज और बचाव अभियान समाप्त कर दिया गया।”
सुनील कुमार की स्थिति स्पष्ट
जिले के प्रशासन और बचाव दल ने रविवार को यह पुष्टि की कि एक लापता श्रमिक, सुनील कुमार, हिमस्खलन से पहले अपने घर जा चुका था, और उसके परिवार ने पुष्टि की है कि वह सुरक्षित है। इससे प्रभावित श्रमिकों की संख्या 54 कर दी गई है, जो पहले 55 बताई गई थी।
बचाव टीमों की सराहना
भारतीय सेना ने सभी बचाव कर्मियों की साहसिक और पेशेवर प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने प्रतिकूल मौसम और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में बचाव अभियान चलाया। सेना ने इस दुखद प्राकृतिक आपदा में अपनी जान गंवाने वाले श्रमिकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
बचाव कार्य में उन्नत तकनीकी उपकरणों का प्रयोग
बचाव कार्य में सहायता के लिए आठ हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया गया, और आधुनिक तकनीक जैसे ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार, थर्मल इमेजिंग कैमरे और विक्टिम लोकेटिंग कैमरे का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, ड्रोन और अन्य उपकरणों का भी उपयोग किया गया ताकि दफन वस्तुओं का पता लगाया जा सके और पीड़ितों को ढूंढा जा सके।
मुख्यमंत्री की सराहना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव टीमों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके उत्कृष्ट कार्यों के कारण 46 श्रमिकों को सुरक्षित रूप से बचाया गया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सभी बचाए गए श्रमिकों को उचित चिकित्सा उपचार मिलेगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि फरवरी और मार्च में हिमस्खलन की बढ़ती संभावना को देखते हुए, राज्य सरकार ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की सलाह जारी की है।