जांबाज इंस्पेक्टर सुनील कुमार: शौर्य की मिसाल, बदमाशों से मुठभेड़ में वीरगति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने शौर्य और साहस का जो उदाहरण पेश किया, वह पुलिस सेवा के लिए अमर रहेगा। चार कुख्यात बदमाशों को मुठभेड़ में ढेर करने के दौरान सुनील कुमार को तीन गोलियां लगीं, जिनमें से दो पेट में और एक लिवर में लगी थी। गंभीर रूप से घायल इंस्पेक्टर सुनील का मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन लिवर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।

वीरगति से पहले का सफर
1990 में पुलिस में भर्ती हुए इंस्पेक्टर सुनील कुमार 2002 से एसटीएफ में तैनात थे। उन्होंने अपने करियर में कई बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया।

5 लाख के इनामी अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया
50 हजारी उमर केवट
1.25 लाख के इनामी आदेश बालियान
अनिल दुजाना और सोनू मटका जैसे कुख्यात अपराधियों को उन्होंने अपनी सूझबूझ और साहस से ढेर किया।
2012-13 में मेरठ यूनिट में तैनाती के दौरान उन्होंने एक-एक लाख के इनामी सुशील मूंछ, बदन सिंह बद्दो, और भूपेंद्र बाफर को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी।
अंतिम मुठभेड़
अपराधियों का खात्मा करते हुए सुनील कुमार ने अदम्य साहस दिखाया। इस मुठभेड़ में उन्हें तीन गोलियां लगीं। डॉक्टर्स ने दो गोलियां निकाल दी थीं, लेकिन लिवर को पहुंचे नुकसान के कारण उनका जीवन नहीं बच सका।

श्रद्धांजलि
उनके निधन पर पुलिस विभाग और जनता ने गहरा शोक व्यक्त किया है। इंस्पेक्टर सुनील कुमार की वीरता और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी इस कुर्बानी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि देश और समाज की सुरक्षा के लिए पुलिस बल हमेशा तत्पर है।

 

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